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नगर पर्षद के चालकों ने खड़े किये हाथ

पुराने स्थान पर ही फेंका जा रहा है कचरा कचरा ठोस प्रबंधन के लिए नहीं मिली जमीन मेदिनीनगर : च्छता अभियान की चर्चा के बीच पलामू के मेदिनीनगर में आज भी यह सवाल अपनी जगह कायम है, कि आखिर शहर का कचरा कहां फेंका जाये? यह ऐसा सवाल है जिसका हल पिछले 10 वर्षों से […]

पुराने स्थान पर ही फेंका जा रहा है कचरा
कचरा ठोस प्रबंधन के लिए नहीं मिली जमीन
मेदिनीनगर : च्छता अभियान की चर्चा के बीच पलामू के मेदिनीनगर में आज भी यह सवाल अपनी जगह कायम है, कि आखिर शहर का कचरा कहां फेंका जाये? यह ऐसा सवाल है जिसका हल पिछले 10 वर्षों से खोजा जा रहा है. पर इसका अभी तक अपेक्षित परिणाम सामने नहीं आ रहा है. अब स्थिति यह है कि तमाम प्रयास के बाद भी जब नगर पर्षद को कचरा फेंकने के लिए जगह नहीं मिल, तो उसके बाद एक बार फिर से मेदिनीनगर के कोयल नदी के पास पलामू क्लब के पीछे मुख्य सड़क के किनारे कचरा फेंका जाने लगा.
मेदिनीनगर नगर पर्षद का कहना है कि इसके अलावा उनलोगों के पास दूसरा कोई विकल्प ही नहीं है, क्योंकि लगातार प्रयास के बाद भी जमीन नहीं मिल पा रही है. बताया गया कि प्रशासन द्वारा चैनपुर के मंगरदाहा में सरकारी जमीन चिह्नित किया गया था. उसके बाद नगर पर्षद ने उक्त जमीन पर जब कचरा फेंकना का काम शुरू किया तो शुक्रवार को दो अज्ञात लोगों ने नगर पर्षद के चालकों को हिदायत दी की यह जमीन हमारी है.
इस पर कचरा मत फेंको , अन्यथा अंजाम बुरा होगा. इसके बाद शनिवार को चालक ने लिखित शिकायत चैनपुर थाना में दर्ज करायी. इस घटना के बाद से वहां कचरा फेंकने का काम बंद कर दिया गया. उसके बाद कचरा वहीं डंप होने लगा जिसे लेकर पूर्व में लोगों ने विरोध जताया था. चालकों की मानें तो अब उनलोगों की हिम्मत नहीं हो रही है कि कचरा लेकर शहर से बाहर जायें, क्योकि लगातार उनलोगों के साथ मारपीट व गाली गलौज की जाती है. इसके पहले सितंबर में चालक के साथ मारपीट की गयी थी. मारपीट में घायल चालक कृष्णा राम डेढ़ माह तक बीमार रहा था. अब चालक कोई रिस्क नहीं लेना चाहते. उनका कहना है कि बिना सुरक्षा की गारंटी के शहर से बाहर कचरा लेकर नहीं जायेंगे.
10 वर्षों से पड़ी है राशि
अलग झारखंड राज्य बनने के बाद मेदिनीनगर में कचरा ठोस प्रबंधन की योजना स्वीकृत हुई है. इसके लिए कम से कम 10 एकड़ जमीन की जरूरत है, पर जमीन नहीं मिल पा रही है.
इस संबंध में नगर विकास विभाग का यह निर्देश भी है कि यदि सरकारी स्तर पर जमीन न मिले, तो भूमि का क्रय कर इसका निर्माण कराया जाय. इसके लिए विभाग ने 10 वर्ष पहले भी 2006-07 में डेढ़ करोड व उसके बाद पुन: डेढ़ करोड़ कुल मिला कर तीन करोड़ रुपये का आवंटन हो चुका है, लेकिन इसके बाद भी कार्य नहीं हो पा रहा है. बताया जा रहा है कि जमीन नहीं मिल पा रही है.
फैक्ट शीट
मेदिनीनगर नगर पर्षद 26 वार्डों में बंटा हुआ है. इसे नगर निगम का भी दर्जा मिलने वाला है. अभी मेदिनीनगर नगर पर्षद की आबादी 90 -95 हजार के करीब है. औसतन शहर से प्रतिदिन 25 से 30 टन कचरा निकलता है. लोगों का कहना है कि नियमित जो सफाई होती है.
वह ठीक तरीके से नहीं होती, तब इतना कचरा निकलता है. इसे डंप करने के लिए कोई जगह नहीं है. पहले नगर पर्षद कोयल नदी व तालाबों में कचरा डंप करती थी. जब इसका विरोध होने लगा तो मेदिनीनगर के कोयल पुल के बगल में कचरा गिराये जाने लगा. नगर पर्षद का कहना है कि मजबूरी में ऐसा किया जा रहा है. चैनपुर अंचल द्वारा यह कहा गया कि सरकारी है लेकिन उसकी मापी नहीं की गयी. बताया गये स्थान पर जब कचरा फेंका जाता विरोध शुरू होता है, और कोई कार्रवाई भी नहीं होती.

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