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51.45 करोड़ की चपत

तीन वित्तीय वर्ष से बीआरजीएफ मद की राशि नहीं मिली मेदिनीनगर : पंचायती राज गठन के बाद पलामू को पिछले तीन वित्तीय वर्ष में बीआरजीएफ मद की राशि नहीं मिली है. चालू वित्त वर्ष में अभी तक जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है. जबकि नियम के मुताबिक प्रत्येक दो माह पर बैठक अनिवार्य […]

तीन वित्तीय वर्ष से बीआरजीएफ मद की राशि नहीं मिली

मेदिनीनगर : पंचायती राज गठन के बाद पलामू को पिछले तीन वित्तीय वर्ष में बीआरजीएफ मद की राशि नहीं मिली है. चालू वित्त वर्ष में अभी तक जिला योजना समिति की बैठक नहीं हुई है. जबकि नियम के मुताबिक प्रत्येक दो माह पर बैठक अनिवार्य है.

जानकारों का कहना है कि यदि इस वर्ष भी बैठक में देर हुई, तो पलामू को तीन वित्तीय वर्ष के दौरान 51 करोड़, 45 लाख रुपये की योजना से वंचित रहना पड़ सकता है. नौ मार्च 2011 को जिप बोर्ड का गठन हुआ है. उसके बाद से किसी भी वित्तीय वर्ष में योजना मद में राशि नहीं मिली. नियम के मुताबिक ग्राम सभा के माध्यम से योजना का चयन होता है.

पंचायत समिति से अनुमोदन होने के बाद जिला परिषद उस कार्य योजना को जिला योजना समिति की बैठक में रखती है. पारित होने के बाद इसे केंद्र को भेजा जाता है, तब केंद्र द्वारा राशि का आवंटन किया जाता है. पर पलामू में समय पर जिला योजना समिति की बैठक नहीं हो पा रही है. इस कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. 2010-11 का जो वार्षिक लक्ष्य था, वह 18 करोड़ का था.

पंचायती राज गठन के पूर्व ही पलामू को प्रथम किस्त की राशि के रूप में नौ करोड़ रुपये मिले थे. उसके बाद दूसरी किस्त की राशि नहीं मिली. वर्ष 2012-13 में लक्ष्य 19 करोड़ का था, पर प्रस्ताव भेजे जाने में विलंब होने के कारण राशि नहीं मिली. इस वित्तीय वर्ष में फरवरी माह में बैठक हुई, उसके बाद प्रस्ताव भेजा गया था.

नियम के मुताबिक जिला योजना समिति की बैठक प्रत्येक दो माह पर एक बार अनिवार्य है.

लेकिन पलामू में चालू वित्तीय वर्ष में अभी तक एक भी बैठक नहीं हुई है. आशंका व्यक्त की जा रही है कि इस वर्ष भी पलामू को बीआरजीएफ की राशि नहीं मिल सकती है. इस वर्ष का का लक्ष्य 23 करोड़, 45 लाख का है. जानकारों की मानें, तो राज्य में तीन जिले ही ऐसे हैं, जिन्हें चालू वित्तीय वर्ष में प्रथम किस्त की राशि नहीं मिली है. देवघर ऐसा जिला है, जिसे द्वितीय किस्त की राशि भी मिल चुकी है.

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