हाल:लेस्लीगंज का प्रखंड व अंचल कार्यालयलेस्लीगंज(पलामू). झारखंड में कार्य-संस्कृति बदले, राज्य के मुखिया रघुवर दास काम के प्रति सक्रिय रहने का संदेश दे रहे हैं. पर कुछ प्रखंड कार्यालयों की स्थिति देख कर ऐसा लगता है जैसे मानो कर्मियों ने यह ठान लिया हो कि हम नहीं सुधरेंगे. पुराने ढर्रे पर ही रहेंगे. क्योंकि भले ही साल बदला हो, सरकार बदला हो, लेकिन हम नहीं बदले हैं. जब हम नहीं बदले तो कार्य-संस्कृति कैसे बदलेगी. जी हां उदाहरण के तौर पर लेस्लीगंज प्रखंड कार्यालय को देखा जा सकता है.नियम के मुताबिक सुबह 10 बजे से पांच बजे तक सरकारी कार्यालय चलना है, पर गुरुवार को ढाई बजे ही लेस्लीगंज कार्यालय में सन्नाटा पसरा था. कुरसियां खाली थी, हाकिम पहले निकले और बाबू बाद में. जब हाकिम ही नहंी रहे तो बाबुओं को रोके कौन? ढाई बजे प्रखंड कार्यालय में एक सहायक व एक कंप्यूटर ऑपरेटर मौजूद थे. अंचल कार्यालय में लिपिक अरुणा एक्का बैठी थी. मनरेगा,कल्याण विभाग के कार्यालय में कोई कर्मी नहीं था. शेष अधिकारी व कर्मी कहां थे, इसे बताने वाला भी कोई नहीं था. गुरुवार को पंचायत दिवस मनाया जाता है, लेकिन प्रखंड के सांगबार, कुंदरी, लेस्लीगंज, पूर्णाडीह पंचायत सचिवालय बंद पड़ा था. रोजगार सेवक भी पंचायत सचिवालय में नहीं थे.
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ढाई बजे ही खाली था प्रखंड कार्यालय
हाल:लेस्लीगंज का प्रखंड व अंचल कार्यालयलेस्लीगंज(पलामू). झारखंड में कार्य-संस्कृति बदले, राज्य के मुखिया रघुवर दास काम के प्रति सक्रिय रहने का संदेश दे रहे हैं. पर कुछ प्रखंड कार्यालयों की स्थिति देख कर ऐसा लगता है जैसे मानो कर्मियों ने यह ठान लिया हो कि हम नहीं सुधरेंगे. पुराने ढर्रे पर ही रहेंगे. क्योंकि भले […]
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