हैदरनगर : हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र का अधिकतर तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है. इस प्रचंड गर्मी में सबसे अधिक समस्या पेयजल की होती है. पहाड़ी क्षेत्र के अधिकतर कूप व चापाकल में पानी निकलना बंद हो गया है. कुछ चापाकल खराब पड़े हैं. विभाग को शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. हुसैनाबाद प्रखंड का जंगलों–पहाड़ों से घिरा ग्राम पंचायत महुडंड का गांव जीता माटी की आबादी करीब 700 की है. उक्त गांव में सरकार ने तीन चापाकल लगाये हैं. दो चापाकल महीनों से खराब है. एक चापाकल है, उसपर सुबह होने से पहले ही ग्रामीण अपना अपना बर्तन रखकर नंबर लगा दिया करते हैं.
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एक चापाकल पर 700 लोग निर्भर
हैदरनगर : हुसैनाबाद अनुमंडल क्षेत्र का अधिकतर तापमान 45 डिग्री तक पहुंच गया है. इस प्रचंड गर्मी में सबसे अधिक समस्या पेयजल की होती है. पहाड़ी क्षेत्र के अधिकतर कूप व चापाकल में पानी निकलना बंद हो गया है. कुछ चापाकल खराब पड़े हैं. विभाग को शिकायत करने पर भी कोई कार्रवाई नहीं होती है. […]
ग्रामीणों ने बताया कि कई बार विभागीय अभियंताओं को सूचना दी गयी. मगर अबतक कुछ भी नहीं हो सका. एक चापाकल से लोग अपनी व अपने परिवार की प्यास बुझाने को मजबूर हैं. इसी प्रकार नगर पंचायत हुसैनाबाद में एक दर्जन से अधिक चापाकल खराब है. इससे काफी लोग प्रभावित हैं. खासकर राहगीरों को काफी परेशानी उठाना पड़ता है. शहर के व्यस्तम स्थान जेपी चौक, दाता नगर, संगत मुहल्ला, खादी भंडार, चिकटोली आदि स्थानों का चापाकल खराब है. पेयजल व स्वच्छता विभाग का कार्यालय भी हुसैनाबाद में अवस्थित है. शिकायत करने के बावजूद मरम्मत नहीं की जाती है.
इस संबंध में नगर पंचायत अध्यक्ष शशि कुमार ने बताया कि चापाकल मिस्त्रियों की लापरवाही की वजह से यह स्थिति पैदा हुई है. उन्होंने बताया कि उन्हें कार्यमुक्त कर दिया गया है. नये मिस्त्रियों से जल्द ही मरम्मत का काम कराया जायेगा. हैदरनगर रेलवे स्टेशन अधीक्षक मनोज कुमार ने बताया कि चापाकल के फेल होने जाने से इससे यात्रियों को परेशानी होती है.
उन्होंने बताया कि यात्रियों की सुविधा के लिए सभी यात्री गाड़ियों में समय पर मोटर चालू कर पेयजल की व्यवथा करायी जा रही है. इससे काफी राहत मिली है. हैदरनगर के रेलवे गुमटी व भाई बिगहा ऑटो स्टैंड का चापाकल भी खराब है. कारण कुछ भी हो इस प्रचंड गर्मी के मौसम में हुसैनाबाद अनुमंडल के लोगों की सबसे बड़ी समस्या पेय जल की है. इस दिशा में न तो विभाग सक्रिय दिख रहा है, न जनप्रतिनिधि. आम लोग किसी तरह अपनी प्यास बुझाने का जुगाड़ करने पर मजबूर हैं.
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