मेदिनीनगर: पलामू एजेंसी में बम फेंके जाने के मामले में पलामू पुलिस ने एक अपराधी को पकड़ा है. पकड़े गये अपराधी का नाम विकास तिवारी है. विकास बारालोटा का रहने वाला है. पुलिस ने इस मामले में दो अपराधियों को चिह्नित किया था. इसमें हरी तिवारी व विकास तिवारी का नाम सामने आये था. विकास की गिरफ्तारी पुलिस ने की है, पर हरी अभी तक फरार है.
उसके घर कुर्की हो, इसके लिए पुलिस द्वारा प्रयास किया जा रहा है. छानबीन के क्रम में पुलिस ने यह पाया कि पलामू एजेंसी में बम फेंकने की घटना को सुजीत सिन्हा गिरोह द्वारा अंजाम दिया गया है. आकाश राय की गिरफ्तारी आठ अक्तूबर को की गयी थी. आकाश राय की गिरफ्तारी सुजीत सिन्हा गिरोह के लिए एक झटका था. इससे उबरने के लिए गिरोह के लोगों ने अपनी उपस्थिति दर्ज कराने के लिए पलामू एजेंसी में बम फेंका, ताकि गिरोह का दहशत कायम रहे. पुलिस के छानबीन में यह तथ्य उभरकर सामने आया है कि सुजीत सिन्हा जेल से ही अपने गिरोह का संचालन कर रहा है और उसका नंबर गिरोह से जुड़े लोगों ने कोड वर्ड में सेभ कर रखा है.
ताकि पकड़े जाने पर भी आसानी से यह नंबर पुलिस तक नहीं पहुंच सके. पलामू में सुजीत सिन्हा अपना नेटवर्क विस्तार करने में लगा है. पुलिस उसके नेटवर्क को तोड़ने में जुटी है. सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस उपाधीक्षक प्रेमनाथ ने बताया कि हरी तिवारी के गिरफ्तारी के लिए पुलिस छापामारी कर रही है. इस मामले में पुलिस कुख्यात अपराधी सुजीत सिन्हा को भी रिमांड पर लेगी. अपराधी के गिरफ्तारी के लिए टीम बनाया गयी थी. इस टीम में शहर थाना के प्रमोद कुमार, महिला थाना प्रभारी दुलर चौड़े, गणेश चौधरी, टीओपी तीन के प्रभारी भूपेन्द्र सिंह शामिल थे. विकास के गिरफ्तारी बारालोटा में उसके घर से की गयी.
तब पुलिस क्या कर रही थी
जैसा की सोमवार को प्रेस कांफ्रेंस में पुलिस उपाधीक्षक प्रेमनाथ ने बताया कि पलामू एजेंसी में बम फेंकने के बाद अपराधी काफी डरे हुए थे. काफी तेज गति में मोटरसाइकिल चलाकर छहमुहान से होते हुए सद्दीक मंजिल चौक क्रॉस कर शाहपुर की तरफ गये. उसके बाद शाहपुर में मोटरसाइकिल से गिर गये, जिसके कारण विकास को अधिक चोट लगी थी. हरी तिवारी को हल्की चोट लगी थी. शाहपुर में गिरने के बाद वे लोग रांची रोड होते हुए अपने घर बारालोटा पहुंचे. डीएसपी की बात पर यकीन करें, तो उनके बातों से ही कई सवाल खड़े हो रहे हैं. सवाल यह है कि शहर थाना के बगल में स्थित पलामू एजेसी में बम फेंका जाता है. उसके बाद अपराधी शहर के हृदयस्थली जहां दिन में पुलिस बल की तैनाती रहती है, उसे पार कर अपराधी निकल जाते हैं. वह भी तेज गति में बाइक चलाते हुए. कोई पुलिस कर्मी उन्हें देखता नहीं. यदि देखा भी तो तेज गति को देखते हुए भी कोई संदेह भी नहीं किया. सद्दीक मंजिल चौक पर भी पुलिस रहती है. वहां भी कोई रोक टोक नहीं. शाहपुर में गिरते हैं और वापस अपने घर भी चले आते है. पुलिस 16 दिनों के बाद एक अपराधी को पकड़ती है और डीएसपी प्रेमनाथ पूरे विस्तार से जानकारी दे रहे है. लेकिन सवाल यह है कि जब दिन में पुलिस अपराधियों को नहीं पकड़ सकी और वह तेज रफ्तार से निकल गये तो सवाल तो है ही कि आखिर गश्ती पुलिस, टाईगर मोबाइल आदि कर क्या रहे थे. इसकी भी समीक्षा होनी ही चाहिए.
एस वन एस टू के नाम से सेभ है नंबर
सुजीत सिन्हा हजारीबाग जेल से अपने गिरोह का संचालन कर रहा है. फोन पर ही वह अपने गिरोह से जुड़े लोगों को दिशा निर्देश जारी करता है कि किस से रंगदारी मांगनी है. कहां जाना है. इसका आदेश वह देता है जिसके आलोक में उसके गिरोह के अपराधी काम करते है. डीएसपी प्रेमनाथ की माने तो पकड़े गये अपराधी विकास तिवारी के पास जो मोबाइल मिला है, उसमें सुजीत सिन्हा का नाम एस वन व एस टू के नाम से सेभ है. पुलिस को वह नंबर उपलब्ध हो गया है. अब इसके आधार पर कॉल डिटेल निकाला जा रहा है, ताकि पुलिस सुजीत सिन्हा के मददगारों तक पहुंच सके. पुलिस सूत्रों की माने तो सुजीत सिन्हा के कई ऐसे मददगार है, जिनका अब तक कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं है. वह व्यवसाय से भी जुड़े हैं. लेकिन वह सुजीत सिन्हा की मदद कर रहे हैं. पुलिस का कहना है कि जल्द ही अपराधिक गिरोह पर नकेल कसा जायेगा. इसके लिए व्यापक रणनीति तैयार की गयी है. पुलिस अधीक्षक इंद्रजीत माहथा के नेतृत्व में पुलिस ने रणनीति तैयार की है.
क्या थी घटना
14 अक्तूबर को दिन दहाड़े पलामू एजेंसी में बम फेंका गया था. इस घटना में सीसीटीवी कैमरा में जो फुटेज आया था, उसमें यह पाया गया था कि दो अपराधियों ने बम फेंका है. उसके पहले आठ अक्तूबर को पुलिस ने सुजीत सिन्हा गिरोह के आकाश राय की गिरफ्तारी की थी. इसके पूर्व गिरोह द्वारा पलामू एजेंसी के मालिक से रंगदारी मांगी गयी थी.