तालाब पर ही बना डाला तालाब
विकास को मनरेगा से जोड़ कर देखना और इसके प्रभाव तो बढ़ाने में सरकार जुट गयी है. जिसके तहत अब तक का सबसे बड़ा आवंटन मनरेगा को दिया गया. लेकिन धरातल पर जो देखने को मिल रहा वह सोचनीय है. महज चंद रुपयों की खातिर मनरेगा को लूट की योजना बनाना तर्कसंगत नहीं लगता.
पाकुड़ : गांवों में विकास की बयार लाने के लिए सरकार ने आम बजट में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी है. इस बार मनरेगा में 38 हजार करोड़ की राशि बजट में स्वीकृत की गयी है. लेकिन वास्तविकता इससे अलग है. इसका ताजा उदाहरण सदर प्रखंड के रहसपुर पंचायत में देखने को मिल रहा है. जहां मनरेगा में खानापूर्ति करते हुए सरकारी रुपयों की लूट की बात सामने आ रही है. रहसपुर गांव में महारूद्दीन शेख की जमीन पर नया तालाब निर्माण कराया जाना था.
लेकिन विभागीय लापरवाही के कारण अभिकर्ता द्वारा पुराने तालाब को ही चारों ओर पटाल बना कर एक लाख 31 हजार रुपये की राशि की निकासी कर ली गयी है. सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार योजना संख्या 2/15-16 में महारूद्दीन के जमीन पर तीन लाख 41 हजार 700 रुपये की राशि से नया तालाब निर्माण कराया जाना था. विभागीय अभिकर्ता जुलियस हांसदा द्वारा पुराने ही तालाब पर तालाब दिखा कर राशि की निकासी कर ली गई है.
ग्रामीणों के अनुसार उक्त स्थान पर पहले से ही तालाब था और उस पर गांव वाले मछली पकड़ा करते थे. लेकिन अभियंता द्वारा पुराने तालाब की ही हल्की कोढ़ाई कर पटाल तैयार कर दिया गया तथा रुपये की भी निकासी कर लिये जाने से ग्रामीणों में चर्चा का विषय है.
वहीं जब कनीय अभियंता जुलियस हांसदा के मोबाइल पर संपर्क करने का प्रयास किया गया. तो संपर्क नहीं हो सका.