िवडंबना . जिले में कितने मोबाइल टावर, नप को पता नहीं
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टावरों की संख्या 154 के पार, पर लाइसेंस एक को
िवडंबना . जिले में कितने मोबाइल टावर, नप को पता नहीं वर्षों से यह तैयारी नहीं हो सकी पूरी पाकुड़ : जिले में कई मोबाइल टावर लगे हैं, पर इनकी संख्या कितनी है यह विभाग के संज्ञान में नहीं है. विभाग की मानें तो सिर्फ एक ही मोबाइल कंपनी को टावर लगाने के लिए एनओसी […]
वर्षों से यह तैयारी नहीं हो सकी पूरी
पाकुड़ : जिले में कई मोबाइल टावर लगे हैं, पर इनकी संख्या कितनी है यह विभाग के संज्ञान में नहीं है. विभाग की मानें तो सिर्फ एक ही मोबाइल कंपनी को टावर लगाने के लिए एनओसी दी गयी है. दूसरी ओर जानकार कहते हैं कि यहां कई माेबाइल कंपनियों के टावर लगे हैं. निगम प्रशासन अभी तक सर्वे कराने की ही तैयारी कर रहा है.
जिले में कितने टावर
जानकारी के मुताबिक जिले भर में कुल 154 मोबाइल टावर लगाये गये हैं. इसमें बीएसएनएल के 12, एयरटेल के 41, वोडाफोन के 36, जियो के 36, टेलीनॉर के 13 व आइडिया के 16 टावर हैं. इतना ही नहीं किन विभाग के पास इसे लेकर निगरानी करनी है. इसकी भी जानकारी किन्हीं के पास उपलब्ध नहीं है.
टावर के कारण हुआ है काफी नुकसान : जानकार लोगों का मानना है कि काफी संख्या में मोबाइल टावर लगाये जाने के कारण सबसे ज्यादा नुकसान गिद्ध पक्षी को हुआ है. पिछले 15 साल की पूर्व की अगर बात करें तो पाकुड़ में गिद्ध काफी संख्या में पाये जाते थे, परंतु टावर लगने के बाद यह प्रजाति विलुप्त प्राय हो गया है. वहीं मानव को भी इससे खतरा है साथ ही पर्यावरण को भी नुकसान पहुंच रहा है. नारियल सहित कई वृक्ष भी इस क्षेत्र में प्रभावित हो रहे हैं. इसके अलावे कई तरह की बीमारी भी हो रही है. जानकार का यह भी कहना है कि अधिक संख्या में जिला में टावर लगाने के कारण बरसात के समय वज्रपात की अधिक घटनाएं हो रही है.
कहते हैं पदाधिकारी
नगर परिषद के कार्यपालक पदाधिकारी प्रशांत लायक ने बताया कि विभाग की ओर से एक कंपनी के टावर को अनापत्ति प्रमाण पत्र दी गयी है. परिषद क्षेत्र में कितने टावर गाड़े गये हैं. इसकी कोई सूची तत्काल विभाग के पास मौजूद नहीं है. जल्द ही इसे लेकर सर्वे कराया जायेगा.
कहते हैं एसडीओ
अनुमंडल पदाधिकारी जितेंद्र कुमार देव ने बताया कि सरकारी नियम के विरूद्ध जहां भी टावर लगाये गये हैं. उनके विरुद्ध कार्रवाई की जायेगी. उन्होंने कहा कि उनके कार्यकाल में एक भी कंपनी को टावर लगाने की अनुमति नहीं दी गयी है. यदि पूर्व में दी भी गयी है तो इसकी समीक्षा की जायेगी.
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