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वर्ष 1995 में बालिग था हत्या का आरोपी रामचंद्र गंझू

2001 में हुई झामुमो नेता के रिश्तेदार की हत्या में भी अभियुक्त है रामचंद्र सुरजीत सिंह रांची : लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र में वर्ष 1995 में हुई हत्या में शामिल अभियुक्त रामचंद्र गंझू द्वारा खुद को नाबालिग साबित कर बरी होने के मामले में लातेहार पुलिस ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी. रिपोर्ट […]

2001 में हुई झामुमो नेता के रिश्तेदार की हत्या में भी अभियुक्त है रामचंद्र
सुरजीत सिंह
रांची : लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र में वर्ष 1995 में हुई हत्या में शामिल अभियुक्त रामचंद्र गंझू द्वारा खुद को नाबालिग साबित कर बरी होने के मामले में लातेहार पुलिस ने अपनी रिपोर्ट अदालत को सौंप दी. रिपोर्ट में पुलिस ने वर्ष 2015 में इंस्पेक्टर एसके मिश्रा की जांच रिपोर्ट को भी शामिल किया है.
पुलिस की रिपोर्ट में कहा गया है कि वर्ष 1995 में रामचंद्र गंझू बालिग था. चंदवा थाना क्षेत्र के मैनटोली गांव में हुई हत्या के मामले में पुलिस ने उसे गिरफ्तार कर जेल भेजा था. तब उसकी उम्र 18 साल से अधिक थी और वह शादीशुदा भी था. इतना ही नहीं रामचंद्र गंझू वर्ष 2001 में हुई एक हत्या के मामले में भी गिरफ्तार हुआ था. रिपोर्ट के मुताबिक चंदवा थाना क्षेत्र में झामुमो के दिवंगत नेता रामदेव गंझू के साले की हत्या हुई थी. इस हत्याकांड में भी रामचंद्र गंझू को अभियुक्त बनाया गया था.
उल्लेखनीय है कि वर्ष 1995 में चंदवा पुलिस ने 18 साल के रामचंद्र गंझू को हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर जेल भेज था. उसने वर्ष 2016 में अदालत में यह साबित कर दिया कि तब (वर्ष 1995 में) वह सिर्फ एक साल का था. वर्ष 2015 में रामचंद्र गंझू द्वारा किये गये दावे की जांच अदालत ने मेडिकल बोर्ड से करायी. मे़डिकल बोर्ड ने अपनी रिपोर्ट में रामचंद्र गंझू की उम्र 22-23 साल बतायी थी. फिर 19 अप्रैल 2016 को जुबेनाइल जस्टिस बोर्ड ने रामचंद्र गंझू को हत्या के आरोप से बरी कर दिया. इस तरह रामचंद्र गंझू यह साबित करने में सफल रहा कि वर्ष 1995 में घटना के वक्त उसकी उम्र सात साल से कम सिर्फ एक साल थी, और नियम के अनुसार सात साल के कम उम्र के बच्चे पर आपराधिक मुकदमा नहीं चलाया जा सकता.
इस फैसले के खिलाफ लातेहार के एपीपी सुदर्शन मांझी ने लातेहार के प्रधान न्यायायुक्त के यहां अपील दाखिल किया. इसमें उन्होंने कहा कि अदालत ने रामचंद्र गंझू को बरी करने के दौरान उनकी आपत्तियों को ध्यान नहीं दिया. आखिर कैसे कोई अदालत तीन साल के बच्चे को जेल भेज सकता है. एपीपी ने अदालत में जेल के उस कागजात को भी पेश किया, जिसके मुताबिक वर्ष 1995 में रामचंद्र गंझू की उम्र 18 साल थी. साथ ही पूरे मामले में बड़ी साजिश की बात कही. एपीपी की अपील की सुनवाई के बाद अदालत ने लातेहार के एसपी को पूरे मामले की जांच करने का आदेश दिया है.
क्या थी घटना
लातेहार के चंदवा थाना क्षेत्र में मैनटोली गांव में 17 मार्च 1995 की रात दो लोगों ने तेतरा गंझू की हत्या कर दी थी. तेतरा गंझू की पत्नी ने प्राथमिकी दर्ज करायी थी, जिसमें अपने भैंसूर और भतीजा पर हत्या का आरोप लगायी थी. इस मामले में पुलिस ने 19 मार्च 1995 को तेतरा गंझू के भाई रिसा गंझू और भतीजा रामचंद्र गंझू को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया. जेल की रिकॉर्ड से भी इस बात की पुष्टि होती है कि 19 मार्च 1995 को उसे जेल में लाया गया था. उसका क्रमांक 172 है. रजिस्टर में उसकी उम्र 18 साल अंकित है.

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