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लातेहार : रिविजनल सर्वे में गड़बड़ी से जिला के 772 गांवों में तनाव, 10898 केस दायर

सुनील कुमार लातेहार : पिछले 30 साल से उग्रवादियों की चंगुल में जकड़े लातेहार के लोगों की किस्मत में चैन की जिंदगी बसर करना नहीं लिखा है. जिला में बमुश्किल उग्रवाद की धार कुंद पड़ी, रिविजनल सर्वे (हाल सर्वे) में हुई गड़बड़ियों के कारण पुन: यहां तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इसके कारण […]

सुनील कुमार
लातेहार : पिछले 30 साल से उग्रवादियों की चंगुल में जकड़े लातेहार के लोगों की किस्मत में चैन की जिंदगी बसर करना नहीं लिखा है. जिला में बमुश्किल उग्रवाद की धार कुंद पड़ी, रिविजनल सर्वे (हाल सर्वे) में हुई गड़बड़ियों के कारण पुन: यहां तनाव की स्थिति उत्पन्न हो गयी है. इसके कारण जिले के 772 गांवों में घोर तनाव है, रोज जमीन के मामले आ रहे हैं. जिले के बंदोबस्त पदाधिकारियों की अदालतों में 10898 मुकदमे दायर हो चुके हैं. इसमें चार वर्षों में मात्र 3087 मामले ही निबटाये गये हैं.
छह जून 2018 तक इन अदालतों में 7811 मामले लंबित थे. जटिल न्यायिक प्रक्रिया एवं आर्थिक तंगी के कारण लोग अदालत से हट कर पुन: उग्रवादियों की जन अदालतों में मामला लाने को आतुर दिखाई पड़ रहे हैं. माओवादियों को जिले में पांव जमाने के पीछे केवल भूमि विवाद था, लेकिन सरकार ने बगैर उचित पड़ताल किये पुन: 2015 में हाल सर्वे के आधार पर भूमि का अभिलेख संधारण करने का तुगलकी आदेश जारी किया है. तीन वर्षों में कुल भूमि का लगभग 80 प्रतिशत भूमि विवादित हो गयी है. सर्वे करनेवालों ने बगैर पंजी-दो एवं बिक्री की अभिलेखों को देखे, जो जैसा बताते गया, उस आधार पर या पुराने केथ्रेडल सर्वे के आधार पर रैयतों का नाम रिविजनल सर्वे (हाल सर्वे) में चढ़ा दिया गया है. बड़ी ही चालाकी से सर्वे करनेवालों को खुश करके अपना नाम दर्ज करा लिया और नया खतियान का प्रकाशन होते ही अपनी बेची गयी भूमि पर पुन: दावा पेश करते हुए ऑन लाइन रसीद कटवा ली. रसीद कटते ही बेची गयी भूमि पर वे अपना मालिकाना हक जताने लगे हैं.
स्थिति इतनी भयावह है कि कभी भी खून-खराबा हो सकता है. खेती का मौसम शुरू होते ही जिले में इस मामले को लेकर घोर तनाव व्याप्त है. ग्राम कचहरी व सरपंचों के पास विवाद की लंबी फेहरिस्त खड़ी हो गयी है, कहीं -कहीं तो स्थिति नियंत्रण से बाहर हो गयी है. सर्वे में गड़बड़ी का मुख्य कारण बगैर उचित पारिश्रमिक दिये प्राइवेट अमीनों से मापी कराना ही है. सर्वे में सर्वे अॉफिसर उजरत (अमीन) की प्रतिनियुक्ति करते हैं.
जिन्हें मामूली पारिश्रमिक दी जाती है और गांव-गांव में घूम कर उन्हें चिस्तवार (बांउड्री) करनी पड़ती है. चिस्तवार के उपरांत खानापूर्ति की प्रक्रिया की जाती है, तब बंदोबस्त पदाधिकारी कैंप लगा कर सर्वे को अंतिम रूप देते हैं और बंडा पर्चा निर्गत करते हैं. सीएनटी एक्ट की धारा 83 के तहत 30 दिनों में खतियान फाइनल की जाती है.
अवाम से आपत्ति मांगी जाती है, तब प्रकाशन होता है, लेकिन जिले के उपरोक्त काम टेबुल पर ही हो गया, जहां तक सीएनटी एक्ट की धारा 87 के तहत सुनवाई की कागजों पर दलालों के माध्यम से हो गयी है. सर्वे आफिस में सक्रिय दलालों ने जम कर गड़बड़ी करायी, जो उन्हें खुश करने में सफल रहे उनका नाम चढ़ गया और जो वास्तविक रैयत थे उनका नाम नहीं चढ़ा और यहां विवादों की संख्या दिनों दिन बढ़ती गयी.
शहरी क्षेत्र छोड़ कर इन गांवों में अॉन लाइन हुई पंजी- दो
लातेहार जिला मुख्यालय स्थित अधिसूचित क्षेत्र को छोड़ कर लातेहार ग्रामीण क्षेत्र की 166 गांवों, चंदवा अंचल की 85, बालूमाथ की 67, गारू के 74, मनिका की 84, बारियातू की 56, महुआडांड़ के 106 तथा हेरहंज अंचल के 51 गांवों की भूमि अभिलेख ऑन लाइन हो गयी है तथा ऑन लाइन लगान वसूला जा रहा है.
केस स्टडी : महुआडांड़ अंचल की प्रांसिसका कुजूर ने अशोक साव से जमीन खरीदी, वर्ष 2015 तक लगान दिया. हाल सर्वे खतियान के आधार पर पंजी-दो ऑन लाइन होने पर उसकी डिमांड स्थगित कर दी गयी थी, पूर्व विक्रेताओं ने उसकी जमीन पर धावा बोल दिया. दोनों पक्षों में मारपीट हुई. महुआडांड़ एसडीएम की अदालत में विविध वाद संख्या 54/2017-18 विचाराधीन है तथा दोनों पक्षों में घोर तनाव है कभी भी बड़ी घटना घट सकती है.

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