सतगावां. प्रखंड में प्रधानमंत्री आवास योजना के चयन को लेकर सर्वे का काम हो रहा है. तस्वीरें भी खींची जा रही है. लेकिन, ग्रामीण क्षेत्रों में आवास योजना की सूची में नाम दर्ज कराने के नाम पर अवैध वसूली के मामले सामने आ रहे हैं. वैसे ग्रामीण जो आवास पाने के योग्य हैं, उनसे 2000 रुपये की मांग की जा रही है, जो अयोग्य हैं, उनसे अभी दो से पांच हजार रुपये तक सूची में नाम दर्ज कराने के नाम पर लेने की चर्चा हो रही है. लोगों के अनुसार सर्वे सूची की जांच करने पर बड़ा घोटाला सामने आ सकता है. इस अवैध वसूली में कुछ पंचायत प्रतिनिधि व कर्मचारियों की मिलीभगत की भी बातें सामने आ रही है, जिनके लोग गांवों में घूम-घूमकर अभी से लोगों की सूची तैयार करने में जुट गये हैं. जबकि, इस सर्वे का कार्य सरकारी कर्मियों को करना है. इसके लिए केवल आवास सहायक ही नहीं, बल्कि एक टीम का गठन होगा, जो वैसे लोगों की पहचान करेंगे, जिन्हें पीएम आवास योजना की जरूरत है. इस बार प्रशासन की ओर से जो रणनीति बनायी गयी है, उससे स्पष्ट होता है कि इस बार आवास योजना में दलालों व बिचौलियों की दाल नहीं गलने वाली है. लेकिन, अभी से दबे पांव बिचौलिये योजना में सेंधमारी कर घुसने की कोशिश करने में जुट गये हैं. दूसरी तरफ जो इस लाभ के वास्तविक हकदार है, वह भी इस शंका में कहीं उनका नाम सूची से काट नहीं दिया जाये, इसके शिकार हो रहे हैं. दूसरी ओर इसकी भनक स्थानीय अधिकारियों तक लगने लगी है. हालांकि इस मामले में अधिकारी कुछ बोलने से परहेज कर रहे हैं. जालसाजी कर प्रधानमंत्री आवास योजना का लाभ लेने के लिए पक्के मकानवाले भी अपनी या अपने परिवार की तस्वीर खिंचवा रहे हैं. सरकारी नौकरी से रिटायर्ड होने के बाद पेंशन ले रहे पेंशनधारी भी अपने परिवार के नाम से आवास योजना का लाभ लेने के लिए तस्वीर खिंचवा रहे हैं.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है