18कोडपी6खेती की जुताई करता किसान. 18कोडपी7 रूपेश रंजन. ————– राजेश सिंह, जयनगर. मानसून के समय पर प्रवेश करने से किसानों के चेहरे खिल उठे हैं. पिछले दो दिनों तक रूक रूककर बारिश हुई. जबकि बुधवार को दिन भर कमोवेश बारिश होती रही. किसान इस पानी को वरदान मान रहे है, और खेती बारी की तैयारी में जुट गये हैं. धान का बीज डालने व बिचड़ा तैयार करने का यह उपयुक्त मौसम है. जुलाई का महीना धान के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण है. जानकारों की मानें तो मौसम लगातार परिवर्तनशील है. थोडी बहुत बारिश से परेशानी बढ़ेगी, बारिश के साथ साथ खेत की जुताई का भी समय मिलना चाहिए. कृषि विशेषज्ञों ने धान का बिचडा बचाने के लिए किसानों को कई टिप्स दिये हैं. अभी से करें मेडबंदी : रूपेश कृषि विज्ञान केंद्र जयनगर कोडरमा के एग्रोफोरेस्टी ऑफिसर रूपेश रंजन ने किसानों को सलाह देते हुए बताया कि बारिश होने की स्थिति में अभी से खेतों की मेडबंदी कर लें. जल निकासी के रास्तों को बंद कर दे, जिससे खेत की मिट्टी ना बहे और बारिश का पानी सोख ले. उन्होंने बताया कि क्षेत्र विशेष के आधार पर उपलब्ध जल एवं अन्य संसाधनों के आधार पर इस समय खरीफ की बुआई की कार्य योजना शुरू कर दें. इस माह में कृषि कार्यों को करने के लिए मौसम आधारित कृषि परामर्श पर ध्यान दें. मौसम में होने वाले बदलाव खास कर मानसून के समय में अस्थिर होने से खरीफ में अनुमानित नुकसान को कम करने के लिए आकस्मिक फसल योजना जरूरी है. बीज का प्रबंधन भी जरूरी है. उन्होंने बताया कि धान की नर्सरी एवं सस्य प्रबंधन में सुझाई गयी उन्नत सस्य किस्मों को अपनाना चाहिए. फसल को नियमित अंतराल पर सिंचाई की आवश्यकता होती है. गर्मी में जीवन रक्षक सिंचाई जरूर देना चाहिए. गर्मी के दिनों में बिचड़ों में रोज पानी दें, मिट्टी में नमी व पानी धारण करने की क्षमता में वृद्धि करने के लिए गोबर का खाद डाले. उन्होंने किसानों का यह भी सलाह दिया कि श्री विधि से धान की बुआई व रोपाई से विशेष लाभ होगा. यह विधि ना केवल सिंचित आवश्यकता के लिए सफल हो रही है बल्कि वर्षाश्रित क्षेत्र में भी किसानों के लिए वरदान साबित हो रहा है.
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