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शिक्षक नहीं, भगवान भरोसे है पढ़ाई
िचंता. 2009-10 में उत्क्रमित हुआ था विद्यालय, सात वर्ष में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं जयनगर : प्रखंड के तमाय पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित उवि सोनपुरा की स्थिति सरकार की शिक्षा के विकास के दावे की पोल खोल रही है. मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व सांसद व विधायक विभिन्न कार्यक्रमों में दावा करते है कि सरकार […]
िचंता. 2009-10 में उत्क्रमित हुआ था विद्यालय, सात वर्ष में एक भी शिक्षक की नियुक्ति नहीं
जयनगर : प्रखंड के तमाय पंचायत अंतर्गत उत्क्रमित उवि सोनपुरा की स्थिति सरकार की शिक्षा के विकास के दावे की पोल खोल रही है. मुख्यमंत्री, शिक्षा मंत्री व सांसद व विधायक विभिन्न कार्यक्रमों में दावा करते है कि सरकार शिक्षा के विकास के लिए हर जरूरी कदम उठा रही है. मगर उच्च विद्यालय सोनपुरा के हालात कुछ और ही बता रहे है. वर्ष 2009-10 में कार्यकर्ताओं की मांग पर विधायक स्व चितरंजन यादव ने इस विद्यालय को उत्क्रमित उच्च विद्यालय का दर्जा दिलाया. पहले यह मध्य विद्यालय था.
वर्ष 2011 से यहां नौ में नामांकन भी शुरू हुआ, पर उच्च स्तर की पढ़ाई मवि के शिक्षकों के भरोसे शुरू हुई, थी जो आज तक चल रही है. सात वर्षों के दौरान यहां उच्च शिक्षा के लिए शिक्षक बहाल करना तो दूर एक भी शिक्षक प्रतिनियुक्त नहीं किये गये. मध्य विद्यालय के शिक्षक उच्च विद्यालय के विद्यार्थियों को क्या और कितनी शिक्षा दे पाते होंगे.
वर्ग नौ में नामांकित 101 विद्यार्थी व 10 में नामांकित 68 विद्यार्थी स्कूल आते हैं. एकाध घंटी क्लास चलती है, नहीं तो खेलकूद कर टाइम पास कर घर लौट जाते है. मध्य विद्यालय में दो सरकारी व तीन पारा शिक्षक कार्यरत है. इसमें प्रधानाध्यापक के जिम्मे कार्यालय कार्य, शिक्षक गोष्ठी व विद्यालय संचालन है. इस दौरान मध्य विद्यालय के शिक्षक उच्च विद्यालय में पढ़ाते हैं, तो मध्य विद्यालय में पठन-पाठन बाधित होता है. कुल मिलाकर मध्य व उच्च दोनों संकाय का पठन-पाठन पूरी तरह बाधित है.
बच्चों में पढ़ने की इच्छा
पर शिक्षक ही नहीं
स्कूल पहुंचे प्रतिनिधि को अभिभावक चंदन किशोर पांडेय ने बताया कि जब यह विद्यालय उत्क्रमित होकर उच्च विद्यालय बना था, तब अभिभावकों को काफी खुशी हुई थी कि अब हमारे बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए काको व झुमरीतिलैया नहीं जाना पड़ेगा. मगर सरकार, स्थानीय जनप्रतिनिधि व विभाग के उपेक्षापूर्ण रवैये से अभिभावकों की उम्मीदों पर पानी फिर गया. यहां पढ़ाई होती ही नहीं है. चिंतामणी यादव ने कहा कि सरकार ने स्कूल को उत्क्रमित तो कर दिया पर उत्क्रमित उच्च विद्यालय के लिए एक भी शिक्षक नहीं दिया.
विद्यार्थी आखिर पढ़ें, तो कैसे पढें. वर्ग नौ की छात्रा अंजली कुमारी व काजल कुमारी ने बताया कि वह पढ़ना चाहती है, स्कूल भी आती है, मगर क्या करें यहां शिक्षक ही नहीं हैं. विद्यालय के पोषक क्षेत्र के भरत साव, खूब लाल यादव, मीना साव, मीत लाला साव, गुरुदेव यादव, छोटू यादव, मुन्ना यादव, रामदेव विश्वकर्मा, गजाधर राणा, सिदेश्वर गिरि, शमशुल खान, अनवर अंसारी, महबूब अंसारी, केदार यादव आदि ने सरकार व शिक्षा विभाग से यहां शिक्षक बहाल करने की मांग की है.
अनशन की तैयारी
में पंचायत प्रतिनिधि
उच्च विद्यालय सोनपुरा में सात वर्ष के दौरान शिक्षक बहाल नहीं करने पर नाराजगी जताते हुए पंचायत के पंसस सह उप प्रमुख बीरेंद्र यादव ने कहा कि विभाग इस स्कूल के प्रति भेदभाव बरत रहा है.
इसके साथ उत्क्रमित हुए अन्य उच्च विद्यालयों में शिक्षक दिये गये है, जबकि यहां एक भी शिक्षक नहीं दिया गया. मुखिया लक्ष्मण यादव ने कहा कि इस संबंध में शिक्षा विभाग को कई बार सूचित किया गया. पदाधिकारियों से भी मिले पर इस दिशा में कोई सकारात्मक पहल नहीं हुई. अब आमरण अनशन ही एकमात्र विकल्प है. हम सभी पंचायत जनप्रतिनिधि शिक्षक बहाली के नाम पर शीघ्र ही आमरण अनशन शुरू करेंगे.
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