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जेइ विवेकानंद पर सर्टिफिकेट केस
कोडरमा : लाखों रुपये की सरकारी राशि का गबन कर भुगतान नहीं करनेवाले जूनियर इंजीनियरों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू हो गयी है. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे जिले के चर्चित बरखास्त जूनियर इंजीनियर विवेकानंद चौधरी व एक अन्य जेइ पर अब सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है. जिला परिषद के कनीय अभियंता रहते विवेका चौधरी […]
कोडरमा : लाखों रुपये की सरकारी राशि का गबन कर भुगतान नहीं करनेवाले जूनियर इंजीनियरों के विरुद्ध कार्रवाई शुरू हो गयी है. भ्रष्टाचार के आरोपों में घिरे जिले के चर्चित बरखास्त जूनियर इंजीनियर विवेकानंद चौधरी व एक अन्य जेइ पर अब सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है.
जिला परिषद के कनीय अभियंता रहते विवेका चौधरी पर करीब 40 लाख रुपये, तो एनआरइपी के जेइ अशोक कुमार पर 41 लाख रुपये के गबन का आरोप है. डीसी संजीव कुमार बेसरा के निर्देश पर दोनों के विरुद्ध जिला नीलाम पत्र पदाधिकारी मनीषा वत्स के पास दो अलग-अलग सर्टिफिकेट केस किये गये हैं. विवेका चौधरी पर जिला अभियंता जिला परिषद ने 39 लाख, 69 हजार, 969 रुपये के गबन का, तो जेइ अशोक कुमार पर कार्यपालक अभियंता एनआरइपी ने 41 लाख रुपये के गबन का आरोप लगाया है.
विवेका चौधरी को वर्ष 2008-09 व 2009-10 में जिला परिषद में कनीय अभियंता रहते समय शिक्षा मद की तीन योजनाओं के क्रियान्वयन के लिए कुल दो करोड़, 12 लाख, 48 हजार रुपये अग्रिम दिया गया था. इसमें एक करोड़, 67 लाख, 60 हजार के कार्य की मापी पुस्तिका समर्पित की गयी. अध्यक्षता में गठित जांच टीम ने पाया था कि उक्त योजनाओं में विवेकानंद चौधरी से 44 लाख, 87 हजार, 369 रुपये वसूलना है. बाद में विवेका ने पांच लाख, 17 हजार, 400 रुपये विभाग को जमा करा दिया. शेष 39 लाख, 69 हजार, 969 रुपये विवेकानंद चौधरी से वसूला जाना है. पूरे मामले को लेकर गत सात सितंबर को ही जिला अभियंता जिला परिषद सलील किशोर दुबे ने कोडरमा थाना में कांड संख्या 197/16 दर्ज कराया है.
मामला दर्ज होने के बाद पुलिस प्रशासन के लचीले रूख का फायदा विवेका चौधरी को मिला और बाहर ही बाहर अदालत से जमानत मिल गयी. गत छह दिसंबर को नाटकीय ढंग से पुलिस ने उसे इस मामले में गिरफ्तार भी किया था, पर कुछ ही घंटे में हाई कोर्ट से जमानत का कागजात आ जाने पर उसे छोड़ देना पड़ा था. विवेका चौधरी पर पूर्व में भी कई योजनाओं में गड़बड़ी का आरोप है और लाखों रुपये वसूला जाना हैं. इस दिशा में आज तक कोई कारगर पहल नहीं हुई. डीसी संजीव कुमार बेसरा के निर्देश पर सर्टिफिकेट केस दर्ज किया गया है.
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