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रामू की मेहनत रंग लायी, बंजर जमीन पर छायी हरियाली

जयनगर : कौन कहता है कि पत्थर पर फूल नहीं उगाये जा सकते. अथक परिश्रम किया जाये, तो पत्थर पर भी फूल उगाये जा सकते है. इस कथन को साबित कर दिखाया है, डुमरडीहा के किसान रामू यादव ने. रामू की फोरलेन जय माता दी होटल के समीप 20 कट्ठा जमीन में गेहूं की फसल […]

जयनगर : कौन कहता है कि पत्थर पर फूल नहीं उगाये जा सकते. अथक परिश्रम किया जाये, तो पत्थर पर भी फूल उगाये जा सकते है. इस कथन को साबित कर दिखाया है, डुमरडीहा के किसान रामू यादव ने. रामू की फोरलेन जय माता दी होटल के समीप 20 कट्ठा जमीन में गेहूं की फसल लहलहा रही है.
पिछले वर्ष यह जमीन टांड(बंजर) थी. इस जमीन पर धूल उड़ रहे थे. रामू ने पहले अपनी जमीन को समतल कर खेती लायक बनाया, फिर खेती शुरू की. उसने 20 कट्ठा जमीन में 40 किलो गेहूं की बीज लगायी. इसमें उन्हें 3100 रुपये खर्च लगे. गेहूं के पौधे जब तैयार होने लगे, तो एक बोरा डीएपी पारस खाद डाला, इसमें 1400 रुपये लगे. पौधे में जब दाना आने लगा तो दो बोरा यूरिया खाद डाला.
इसमे उसे 600 रुपये लगे. इस दौरान उसने पास के तालाब व कूप से हर दस दिन पर एक बार कुल पांच बार पटवन किया. अभी एक दो पटवन बाकी है. कुल 5100 रुपये पूंजी व परिश्रम से खेती कर वह सफल किसान बन गया. इसने इसी जमीन के बगल में हरि मिर्च व टमाटर की खेती की थी. उस खेत में टमाटर व हरि मिर्च आज भी लगे है. उसने बांझेडीह प्लांट से उठाने वाले धूल से अपनी गेहूं की फसल को बचाकर रखा है. रामू की यह सफल प्रयास अन्य किसानों के लिए प्रेरणाश्रोत बन गया. आसपास के किसानो ने भी गेहूं की खेती शुरू कर दी है.

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