जिले में सूखे की मार, आंकड़ों में खेल रही सरकार फ्लैग– जमीनी हकीकत से दूर हैं सरकार की नीतियां व अधिकारियों के दावे7कोडपी13किसान हरि पासवान.7कोडपी14यमुना यादव.7कोडपी15सुनील यादव.7कोडपी16सरयू यादव.7कोडपी17कैलाश यादव.7कोडपी18बुलाकी यादव.7कोडपी19जयगनर में धान जो खेत में ही पुआल बन गया.सूखाग्रस्त प्रखंडों में कोडरमा जिले के एक भी प्रखंड का नाम नहीं——–कॉमन इंट्रोजिले में इस बार कम बारिश होने के कारण धान के साथ-साथ मकई, मडुआ व अन्य फसल को भारी नुकसान हुआ है़ दूसरी ओर अधिकारी व राज्य सरकार आंकड़ों का खेल खेल रहे हैं. जिले के विभिन्न प्रखंडों से मिली जानकारी के अनुसार अधिकतर जगहों पर कृषि को कम बारिश के कारण काफी नुकसान पहुंचा है. जिले में करीब 50 फीसदी धान की फसल बारिश बर्बाद हो गयी है, लेकिन राज्य सरकार के आंकड़ें के अनुसार जिले में मात्र 25.57 प्रतिशत फसल ही बरबाद हुई है. यही कारण है कि सरकार ने जिले के छह प्रखंडों में से एक प्रखंड का भी नाम सूखाग्रस्त प्रखंड में शामिल नहीं किया है और अन्य जिलों के प्रखंडों में किसानों की स्थिति को सुधारने के लिए 1398 करोड़ खर्च करने की योजना बना ली है. इससे जिले के किसानों में निराशा व रोष है.प्रतिनिधि, जयनगर सुखाग्रस्त क्षेत्र में कोडरमा जिले के एक भी प्रखंड का नाम नहीं होने से किसानों मायूस हैं. रही सही कसर सरकार की रिपार्ट ने पूरी कर दी है. प्रखंड के किसानों ने कहा कि मानसून की बेरुखी के कारण लगभग 75 प्रतिशत धान की फसल बरबाद हो गयी़ तेतरियाडीह निवासी किसान यमुना यादव ने कहा कि इस जिले की विधायक मंत्री हैं, बावजूद इसके इस क्षेत्र को सूखाग्रस्त क्षेत्र में शामिल नहीं करना दुर्भाग्यपूर्ण है. उन्होंने कहा कि यहां के मंत्री, सांसद व विधायक को किसानों की चिंता नहीं है. हिरोडीह निवासी हरि पासवान ने कहा कि सरकार के नुमाइंदों ने किन किस आधार पर सूखा का आकलन किया और कोडरमा सूची से गायब हो गया. चरकी पहरी निवासी सुनील यादव ने कहा कि सरकार के अधिकारी पदाधिकारी कार्यालयों में बैठकर रिपोर्ट बनाते हैं. यदि क्षेत्र भ्रमण कर रिपोर्ट बना कर सरकार को भेजा जाता, तो शायद यह नौबत नहीं आती. इसी गांव के बुलाकी यादव ने जिला व प्रखंड प्रशासन को दोषी ठहराते हुए कहा है कि एक बार पुन: सुखाड़ का आकलन करने की जरूरत है, ताकि इस जिले के गरीब किसानों को भी राहत मिल सके. चरकी पहरी के सरयू यादव व कैलाश यादव ने कहा कि स्थिति ऐसी है कि धान खेत में ही पुआल बन गया है़ डोमचांच में 50 प्रतिशत फसल बरबाद डोमचांच. प्रखंड के किसानों को इस बार अच्छी बारिश की उम्मीद थी. कई ने तो बैंकों से कर्ज लेकर धान की खेती की थी, पर अच्छी बारिश नहीं होने से सबकी उम्मीदों पर पानी फिर गया. वर्तमान हालत यह है कि प्रखंड में करीब 50 फीसदी धान की फसल बरबाद हो गयी है. कई खेत में लगी धान की फसल मुरझा गयी है. मसमोहना के किसान मिथिलेश साहू ने बताया कि इस बार औसत से कम हुई बारिश होने से प्रखंड में आधे से अधिक फसल को नुकसान हुआ़ आधे से अधिक फसल खेत में ही सूख गयी सतगावां. राज्य सरकार ने भले ही जिले के किसी भी प्रखंड को सूखा ग्रस्त प्रखंड में शामिल नहीं किया है, लेकिन सुदूरवर्ती प्रखंड सतगावां की हकीकत इससे काफी अलग है. किसानों की मानें तो इस बार 70 फीसदी धान की फसल खेत में ही सूख गयी है. बारिश कम होने से धान की बाली नहीं आयी. किसानों का यह भी आरोप है कि पैक्सों के माध्यम से इस बार जो बीज आवंटन किया गया, उससे धान की फसल अच्छी नहीं हुई.मरकच्चो, चंदवारा में भी काफी नुकसानमरकच्चो/चंदवारा. राज्य सरकार की रिपोर्ट के अनुसार करीब 64 प्रखंडों में 50 प्रतिशत से अधिक फसल को नुकसान हुआ है, जबकि 62 प्रखंडों में 40 प्रतिशत से अधिक फसल को नुकसान पहुंचा है. जिले के मरकच्चो व चंदवारा प्रखंड का भी कुछ ऐसा ही हाल है, लेकिन सूखाग्रस्त प्रखंड में इनका नाम नहीं है. मरकच्चो व चंदवारा में करीब 35-40 प्रतिशत धान की फसल कम बारिश के कारण बर्बाद हुई है. वहीं मकई, मडुआ की खेती भी प्रभावित हुई है.
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जिले में सूखे की मार, आंकड़ों में खेल रही सरकार
जिले में सूखे की मार, आंकड़ों में खेल रही सरकार फ्लैग– जमीनी हकीकत से दूर हैं सरकार की नीतियां व अधिकारियों के दावे7कोडपी13किसान हरि पासवान.7कोडपी14यमुना यादव.7कोडपी15सुनील यादव.7कोडपी16सरयू यादव.7कोडपी17कैलाश यादव.7कोडपी18बुलाकी यादव.7कोडपी19जयगनर में धान जो खेत में ही पुआल बन गया.सूखाग्रस्त प्रखंडों में कोडरमा जिले के एक भी प्रखंड का नाम नहीं——–कॉमन इंट्रोजिले में इस बार कम […]
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