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बाल शोषण मुक्त गांव का होगा निर्माण

शामिल हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो कोडरमा बाजार : अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस पर राज्य स्तरीय बाल चौपाल का आयोजन भारतीय किसान संघ, टीडीएच, जागो फाउंडेशन व राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय बिरसा सांस्कृतिक भवन में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के […]

शामिल हुए राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो

कोडरमा बाजार : अंतरराष्ट्रीय बाल श्रम उन्मूलन दिवस पर राज्य स्तरीय बाल चौपाल का आयोजन भारतीय किसान संघ, टीडीएच, जागो फाउंडेशन व राष्ट्रीय झारखंड सेवा संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में स्थानीय बिरसा सांस्कृतिक भवन में किया गया. कार्यक्रम का उद्घाटन राष्ट्रीय बाल संरक्षण आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने किया. अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि हम बच्चों के अधिकार में सुधार करने के लिए जल्द ही कोडरमा और गिरिडीह के 400 गांवों के आंगनबाड़ी केंद्रों व विद्यालयों का सर्वे करायेंगे. इसमें सभी वर्गों की भूमिका जरूरी है. चौपाल में जिन समस्याओं को रखा गया है, उसका जल्द ही समाधान किया जायेगा.
बाल शोषण मुक्त गांव के निर्माण को लेकर कार्य होगा. इसके पूर्व भारतीय किसान संघ के निदेशक संजय कुमार मिश्र ने अतिथियों का स्वागत किया. उन्होंने कहा कि सरकार का सार्थक प्रयास है कि बच्चों का विकास हो, इसके लिए कई कदम उठाया जा रहा है. इस दौरान बाल श्रम, बाल विवाह व शिक्षा से संबंधित विषय पर नुक्कड़ नाटक प्रस्तुत कर लोगों को बाल श्रम नहीं करवाने का संदेश दिया गया. मौके पर राज्य समन्वयक राजन मोहंती, मनोज कु. दांगी, राजा दुबे, बैजनाथ कुमार, इम्तियाज अख्तर, निर्भय कुल, राजू महतो, आशीष पांडेय, विपिन दास, नकुल कुमार, उषा देवी, प्रियंका कुमारी, मुन्नी देवी व अन्य मौजूद थे.
बाल मजदूरी रोकने को लेकर करें पहल
इधर, आयोग के सदस्य प्रियंक कानूनगो ने समाहरणालय सभा कक्ष में जिले के अधिकारियों, माइका व्यवसायी, एनजीओ के सदस्यों के साथ बैठक की. इसमें कानूनगो ने कहा कि माइका के क्षेत्र में बाल मजदूरी अत्यधिक होता है. उन्होंने बताया कि एक बेस लाइन सर्वे सभी गांवों में करने के पश्चात बाल मजदूरी कितना प्रतिशत है इसकी जानकारी प्राप्त हो सकेगी एवं इसके उपरांत बाल मजदूरी को पूर्णत: रोका जा सकेगा. उन्होंने कहा कि बाल मजदूरी का मुख्य कारण गरीबी एवं अशिक्षा है.
इस पर आयोग कार्य करेगा. इसके अलावा सभी को अपने स्तर से पहल करने की जरूरत है. उन्होंने सभी संस्थाओं से अपील की कि अपने कार्य क्षेत्र के जितने भी गांव/पंचायत हैं उनकी सूची बनायें, ताकि पता चल सके की किस क्षेत्र में कौन सी संस्था काम कर रही है. उन्होंने माइका के सप्लाइ चेन को क्लीन करने की बात कही. उन्होंने कहा कि हर गांव में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता/शिक्षक/सहिया/पंचायत सेवक/संरपंच/मुखिया के साथ मिल कर सर्वे टूल को पूरा करें ताकि बाल मजदूरी पर रोकथाम की जा सके. बैठक में डीसी भुवनेश प्रताप सिंह, एसपी शिवानी तिवारी, डीडीसी आलोक त्रिवेदी, एसी प्रवीण कु गागराई, एसडीओ प्रभात कुमार बरदियार आदि मौजूद थे.
बाल संरक्षण को लेकर जीरो टॉलरेंस पर हो रहा कार्य
इधर, जिला जन सम्पर्क कार्यालय में पत्रकारों से बातचीत करते हुए कानूनगो ने कहा कि जिले में माइका का कारोबार ज्यादा है एवं अधिकतर लोग इसी पर निर्भर हैं. यहां के लोग गरीबी के कारण स्वयं एवं अपने बच्चों को भी ढिबरा चुनने के कार्य में लगाते हैं. इससे बच्चों को शिक्षा नहीं मिलती है एवं अज्ञानता के कारण उन्हें बाल मजदूरी करना पड़ता है. उन्होंने कहा कि सरकार बाल संरक्षण को लेकर जीरो टॉलरेंस पर कार्य कर रही है. बहुत सारे बच्चें स्कूल नहीं जा रहे हैं. इसका मतलब है कहीं न कहीं बाल मजदूरी कर रहे हैं. उन्होंने कहा कि तीस दिनों तक जो भी बच्चा स्कूल में अनुपस्थित रहेगा उसे बाल मजदूर माना जायेगा.
आयोग के द्वारा एक सर्वे टूल जिला प्रशासन को सौंपी गयी है, जिसके तहत बाल संरक्षण सर्वे का कार्य कोडरमा क्षेत्र में किया जायेगा. उन्होंने कहा कि यदि कोई व्यक्ति अपने व्यापार, कारखाना, होटल इत्यादि में बच्चों
से काम कराता है, तो इसकी
जानकारी जिला प्रशासन को जरूर दें, ताकि बाल श्रम को रोकने का प्रयास किया जाये.

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