मृतक के पुत्र जय कुमार ने पुलिस के पास ऑनलाइन एफआइआर के लिए आवेदन दिया था. इसके आलोक में कार्रवाई करते हुए तिलैया पुलिस ने अस्पताल के संचालक डाॅ अरुण कुमार, टेक्नीशियन बम शंकर व अन्य को आरोपी बनाया है. दिये आवेदन में जय का आरोप है कि घटना के दिन वे अपने पिता को लेकर अस्पताल गये, तो डाॅक्टर अरुण ने विशेषज्ञ डाॅक्टर द्वारा डायलिसिस की सुविधा मौजूद रहने की बात कही. पैसा जमा करने के बाद उनके पिता का डायलिसिस टेक्नीशियन बम शंकर ने किया.
पहले पूछने पर बताया गया कि सब ठीक है, पर आधे घंटे बाद पिता को रांची रेफर कर दिये जाने की बात कही गयी. जब वे पिता को लेकर पार्वती क्लिनिक पहुंचे, तो बताया गया की मरीज की मौत आधा घंटा पहले हो चुकी है. बाद में वापस गायत्री अस्पताल पहुंचे, तो डाॅ अरुण व बम शंकर ने डायलिसिस के दौरान गलती होने की बात कही. उन्होंने पुलिस को सूचित करने की जानकारी दी, तो दोनों ने मामला यहीं सुलझा लेने को कहा. डाॅक्टर का कहना था कि इससे अस्पताल की बदनामी होगी. इस बीच पहुंचे उनके रिश्तेदारों व अन्य की मौजूदगी में डाॅ अरुण ने 10 लाख रुपये का तीन अलग-अलग चेक बतौर मुआवजा क्षतिपूर्ति के रूप में दिया. अगले दिन सुबह वे अपने पिता का अंतिम संस्कार कर रहे थे, तो पता चला कि डाॅक्टर उल्टा उनके विरुद्ध जबरन चेक लेने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराने पहुंचे है. जय के अनुसार पिता के अंतिम संस्कार में लगे रहने के कारण समय पर थाना नहीं पहुंच पाये. ज्ञात हो कि अस्पताल में मौत के बाद अगले दिन डाॅ अरुण ने जय कुमार समेत अन्य लोगों पर हंगामा करने, मारपीट कर जान मारने की धमकी देते हुए 10 लाख का चेक जबरन लेने का आरोप लगाते हुए मामला दर्ज कराया था.