लीड…मन से बंधन व मन से ही मुक्ति भागवत कथा. स्वामी दिव्यानंद ने बहायी ज्ञान गंगा, कहाफोटो ४ भागवत कथा कहते स्वामी दिव्यानंद. फोटो ५…कथा सुनने आये लोग.खूंटी. मन से ही बंधन है और मन से ही मुक्ति. मन मारक भी है अौर तारक भी. यह बातें स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने भागवत कथा के दौरान कही. उन्होंने कहा कि जैसे जल से उत्पन्न कीचड़ जल से ही नष्ट होता है, वैसे ही मन से किया गया पाप मन से ही ही साफ होता है. मनुष्य का संपूर्ण जीवन उसकी मनोवृति पर निर्भर करता है. गलती हो जाये, तो प्रायश्चित करना जरूरी है. पर कोशिश हो कि गलती बार-बार न हो. अन्यथा प्रायश्चित काम न आयेगा. दिव्यानंद ने कहा कि राम और रावण दो व्यक्ति ही नहीं दो प्रकार की मनोवृति के प्रतीक हैं. हमारे अंदर समस्त सकारात्मक भाव रामभाव का प्रतिनिधित्व करते हैं तथा नकारात्मक भाव रावण का प्रतीक है. मनुष्य का जीवन उसकी मनोवृति पर निर्भर है. दूषित मनोवृति मनुष्य के जीवन में कटुता लाती है, तो अच्छी मनोवृति से जीवन में माधुर्य का संचार होता है. मनोवृति के बदलाव का वास्तविक रूपांतरण होता है. दिव्यानंद ने कहा कि ईर्ष्या ओछी मानसिकता की पहचान है. जो लोग ईर्ष्या करते हैं, उनके घर से लक्ष्मी दूर भाग जाती है. ईर्ष्या से मनुष्य का विकास कभी भी नहीं होता है. कथा के पश्चात भजन हुआ. लोग घंटों भगवान कृष्ण की भक्ति में डूबे रहे. कथा श्रवण के लिए विभिन्न प्रखंडों से लोग आये थे. मौके पर रोशनलाल शर्मा, वीणा शर्मा, महेंद्र भगत, आशुतोष भगत, अनूप साहू, रमेश मांझी, मदन मोहन गुप्ता, शकुंतला जायसवाल, मदन मोहन मिश्र, राधेश्याम गोप, आशु शाहदेव, वरुण शाहदेव, प्रमीला जायसवाल, आरएन शाहदेव, डी शाहदेव, कल्याणी शाहदेव, मोनिका, राजकुमार लहेरी सहित काफी संख्या में लोग उपस्थित थे.
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लीड…मन से बंधन व मन से ही मुक्ति
लीड…मन से बंधन व मन से ही मुक्ति भागवत कथा. स्वामी दिव्यानंद ने बहायी ज्ञान गंगा, कहाफोटो ४ भागवत कथा कहते स्वामी दिव्यानंद. फोटो ५…कथा सुनने आये लोग.खूंटी. मन से ही बंधन है और मन से ही मुक्ति. मन मारक भी है अौर तारक भी. यह बातें स्वामी दिव्यानंद जी महाराज ने भागवत कथा के […]
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