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165 लोग ही ले सके लाभ

जामताड़ा : लोगों में जागरूकता का अभाव कहें या प्रशासनिक व्यवस्था को दोष, मुख्यमंत्री गंभीर असाध्य बीमारी योजना का लाभ लेने में जामताड़ा जिला काफी पीछे है. जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो छह वर्षों में 165 लोग ही इस योजना का लाभ ले पाये हैं. जबकि राज्य के अन्य जिलों में […]

जामताड़ा : लोगों में जागरूकता का अभाव कहें या प्रशासनिक व्यवस्था को दोष, मुख्यमंत्री गंभीर असाध्य बीमारी योजना का लाभ लेने में जामताड़ा जिला काफी पीछे है. जिला स्वास्थ्य विभाग के आंकड़ों पर गौर करें तो छह वर्षों में 165 लोग ही इस योजना का लाभ ले पाये हैं. जबकि राज्य के अन्य जिलों में इस योजना का लाभ लेने वालों की संख्या सैकड़ों में है.

हालांकि जिला स्वास्थ्य विभाग का तर्क है कि योजना का लाभ अंतिम व्यक्ति तक देने के लिए सिविल सर्जन कार्यालय में साप्ताहिक बैठक होती है. जितने भी आवेदन प्राप्त होते हैं राज्य सरकार के नियमानुसार अहर्ता के आधार पर एक भी आवेदन नहीं रोका जाता है. जनहित में तुरंत मामले का निबटारा किया जाता है.
क्या किया गया है सरलीकरण
जिला स्वास्थ्य विभाग के अनुसार पहले इस योजना का लाभ के लिए लोगों को बहुत हाथ पैर मारना पड़ता था. योजना का लाभ लेने के लिए राज्यस्तर पर बैठक होती थी, इसके कारण बहुत लोग इस योजना का लाभ नहीं ले पाते थे. लेकिन वर्ष 2010 में नियमावली में संशोधन कर असाध्य रोगियों के लाभ देेने के लिए जिलास्तर पर उपायुक्त की अध्यक्षता में बैठक होने लगी. 17 सितंबर 2015 में वर्तमान सरकार ने तीसरी बार मुख्यमंत्री असाध्य रोग नियमावली में संशोधन कर जिला सिविल सर्जन की अध्यक्षता में बैठक कर मामले का निपटारा का नियम बनायी गई. उद्देश्य था कि त्वरित गति से असाध्य रोगियों के आवेदन का निबटारा हो पाये और अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ मिल पाये.
कुछ चिह्नित बीमारी में ही लाभुक को सहायता मिलती है. इसलिए कम लोगों को योजना का लाभ मिल पाया है. हार्ट, कैंसर, किडनी, लकवा सहित अन्य मेजर बीमारी में ही चिकित्सा सहायता राशि मिलती है.
मार्शल आइंड सीएस जामताड़ा
सिर्फ बैठकों तक ही सीमित रही योजना की कार्रवाई
वित्तीय वर्ष में लाभान्वित लोग
वित्तीय वर्ष लाभुक
2010-11 09
2011-12 10
2012-13 14
2013-14 13
2014-15 32
2015-16 66
2016-17 21

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