नाला : सिंचाई सुविधा नहीं रहने से नाला प्रखंड में रबी फसल की खेती प्रभावित हो रही है. इस कारण किसान आज सड़क पर आ गये हैं, वहीं कई खेती छोड़ दूसरे राज्य की ओर पलायन कर रहे हैं. हालांकि सरकार का दावा कर रही है कि हरित क्रांति के अलावा पीली क्रांति लायेंगे. हकीकत यह है कि वर्तमान में यहां कोई सिंचाई परियोजना काम नहीं कर रही है. जिसका खामियाजा सिमांत किसान से लेकर साधारण किसानों को भुगतना पड़ रहा है. गौरतलब है कि देश के 80% लोग कृषि पर निर्भर है.
सिंचाई सुविधा के अभाव में किसान खेती से मुंह मोड़ रहे हैं. ऐसा ही नजारा नाला प्रखंड क्षेत्र के फुटबेड़िया पंचायत के पिछड़ी एवं हरिजन बहुल गांव जुड़ीडंगाल का हैं. यहां वर्ष 1979-80 में अजय नदी किनारे लघु सिंचाई विभाग की ओर से लिफ्ट एरिगेशन शुरू किया गया था. इससे सैकड़ों किसान सिंचाई सुविधा का लाभ ले रहे थे. कतिपय कारणों व सरकार की उदासीनता के कारण आज लिफ्ट एरिगेशन बंद हो गया है. भवन भूत बंगला में तब्दील हो गया है. किसानों को इसका लाभ नहीं मिल रहा है. इस करण किसान रबी फसल की खेती नहीं कर रहे हैं. मजबूरी में मजदूरी के लिए दूसरे राज्य पलायन कर रहे हैं.
विभाग व जनप्रतिनिधि बेखबर
लिफ्ट एरिगेशन के बंद है. इससे विभाग व जनप्रतिनिधि भी बेखबर है. हालांकि किसानों ने बंद लिफ्ट एरिगेशन को पुन: चालू करने की मांग को लेकर आंदोलन किया था. इतना ही नहीं गरीब किसानों के खेत में पानी उपलब्ध नहीं रहने के कारण लहलहाती खेत परती पड़ी है. सिंचाई सुविधाओं की दिशा में सरकार की ओर से कोई खास पहल नहीं की गयी है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार प्रखंड क्षेत्र में कुल सिंचित भूमि 56 हजार 633.96 एकड़ है. वर्तमान में 41 हजार 760.80 एकड़ जमीन कृषि योग्य है. लेकिन किसी भी प्रकार की ठोस पहल नहीं होने से किसान आज भी उपेक्षित हैं. बताया जाता है कि भूमि संरक्षण विभाग से प्रखंड क्षेत्र में कुल 904 डोभा बनाया गया है. वहीं मनरेगा से करीब कुल 2151 डोभा का लक्ष्य था. बावजूद क्षेत्र में सिंचाई के लिए पानी की किल्लत है. सरकारी तालाब तथा डोभा अभी से ही सूखने लगे हैं. इधर, अजय बराज नहर में भी पानी सूख गया है. किसानों को रबी फसल की खेती करने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. सरकार की उदासीनता के कारण आज किसान खेती कार्य से विमुख हो रहे हैं.
प्रशासनिक स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजा गया
जिले में 40 माइक्रो लिफ्ट सिंचाई परियोजना बंद पड़ी है. समय-समय पर विभाग को अवगत कराया जाता है. विधानसभा में प्रश्न उठाया गया था. इस पर प्रशासनिक स्वीकृति के लिए प्रस्ताव भेजी गयी है. अभी तक प्राक्कलन बनाने के लिए प्रशासनिक स्वीकृति नहीं मिली है.
– रामवचन पांडे, सहायक अभियंता, लघु सिंचाई विभाग जामताड़ा
27 एकड़ जमीन आज सिंचाई सुविधा के अभाव में बंजर हो गयी है. इस दिशा में सरकार को पहल करनी चाहिए.
उत्तम राय
लिफ्ट एरिगेशन जब चालू था, तब नदी किनारे कुल 30 एकड़ की भूमि सिंचित होती थी. ग्रामीण खुशहाल थे. सरकार की उदासीनता के कारण आज किसानों की स्थिति दयनीय हो गयी है.
हारू राय
बनाये गये हैं 80 डोभा
पंचायत सचिव अमरेंद्र झा ने बताया कि फुटबेड़िया पंचायत में लगभग 60 डोभा निर्माण कराया गया है. जुड़ीडंगाल गांव में ही 20 डोभा स्वीकृत की गयी है. वहीं ग्रमीणों ने बताया कि यहां एक भी सिंचाई तालाब नहीं है. केवल एक सिंचाई कुआं है. वह भी जर्जर है.