लॉ बीर दोरबार में विधायकों के नहीं आने पर देवी-देवता व पूर्वजों को दिया फैसले का अधिकार
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मेनका-टुडू के नाम दिया धरम डाक
लॉ बीर दोरबार में विधायकों के नहीं आने पर देवी-देवता व पूर्वजों को दिया फैसले का अधिकार नरवा राजदोहा जमशेदपुर : नरवा राजदोहा आरा: बुरु सुतान टांडी में मंगलवार को लॉ बीर दोरबार का आयोजन किया गया. इसमें धाड़ दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू के नेतृत्व में करीब ढाइ हजार आदिवासी समुदाय के महिला व […]
नरवा राजदोहा
जमशेदपुर : नरवा राजदोहा आरा: बुरु सुतान टांडी में मंगलवार को लॉ बीर दोरबार का आयोजन किया गया. इसमें धाड़ दिशोम देश परगना बैजू मुर्मू के नेतृत्व में करीब ढाइ हजार आदिवासी समुदाय के महिला व पुरुष का जुटान हुआ. सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन प्रस्ताव पर हस्ताक्षर मसले को लेकर इस लॉ बीर दोरबार में घाटशिला के विधायक लक्ष्मण टुडू व पोटका की विधायक मेनका सरदार को बुलाया गया था लेकिन वे समाज के बीच में अपना पक्ष रखने के लिए नहीं आये.
अपना पक्ष रखने के लिए उनको यह तीसरा और अंतिम मौका दिया गया था. अपना पक्ष नहीं रखने और समाज की बाताें की अवहेलना को लेकर पूरे आदिवासी समुदाय ने उन्हें कड़ा फैसला सुनाया. समाज के लोगों ने उनके नाम से लोटा पानी व तांबा तुलसी रखकर धरम डाक दिया. धरम डाक देकर उनका फैसला देवी-देवता व पूर्वजों के हवाले कर दिया गया. समाज के लोगों ने सामूहिक रूप से देवी-देवता व पूर्वजों से प्रार्थना की कि हमने अपने स्तर से समाज हित में विचार कर समस्या का हल निकलने का प्रयास किया लेकिन हम फैसला देने में नाकाम रहे.
इसलिए अब आप ही इसका हल निकालें.
यदि इन लोगों ने समाज हित में सीएनटी-एसपीटी एक्ट के संशोधन प्रस्ताव में हस्ताक्षर किया है तो माफ कर देना, अन्यथा अपने अनुसार से दंडित करना. लॉ बीर दोरबार में आसनबनी परगना हरिपोदो मुर्मू, हल्दीपोखर तोरोफ परगना सुशील हांसदा, बरहा दिशोम परगना-श्रीकांत हांसदा, महल चूड़ा- फकीर सोरेन, तालसा माझी बाबा-दुर्गाचरण मुर्मू, नवीन मुर्मू, हरिश भूमिज, दलमा राजा राकेश हेंब्रम, बेंडे बारजो समेत करीब 200 गांव के माझी बाबा व दिसुआ लोग मौजूद थे.
करीब ढाई हजार आदिवासी महिला-पुरुषों ने की शिरकत
आदिवासी समाज जल, जंगल व जमीन को अपने जीवन का अभिन्न अंग मानते हैं. इसी वजह से संविधान में सीएनटी-एसपीटी एक्ट का प्रावधान देकर इन्हें सुरक्षित रखा गया है. लेकिन वर्तमान सरकार सारे कायदे-कानून को नियम को ताक पर रखकर आदिवासी को उनकी जमीन से बेदखल करना चाहती है.
बैजू मुर्मू, धाड़ दिशोम देश परगना
सीएनटी-एसपीटी एक्ट आदिवासियों की सुरक्षा कवच है. संशोधन कर इस कवच को तोड़ने का प्रयास किया जा रहा है. सरकार व पूंजीपतियों की नजर आदिवासियों की जमीन पर है. राज्य व केंद्र सरकार संविधान में निहित प्रावधान के विपरीत कर रही है. जो कि गलत है. संशोधन का पुरजोर विरोध किया जायेगा.
दशमत हांसदा, जुगसलाई तोरोफ परगना
क्या है धरम डाक
मान्यता के अनुसार धरम डाक आदिवासी समाज का अंतिम फैसला है. समाज जिन्हें मानता है कि लॉ बीर दोरबार के माध्यम से उनके पक्ष को जानने के लिए तीन मौका देता है. इन तीन मौका में जिसे दोषी समझा जा रहा है, वह अपना दोष कबूल करता है या अपना पक्ष रखकर सही चीज को बताने का प्रयास करता है. तब समाज उन्हें माफ कर देता है. उन्हें दंडित नहीं करता है. किसी कारणों से यदि तीन मौका देने के बाद भी लॉ बीर दोरबार में नहीं आता है तो समाज के लोग सामूहिक रूप से दोषी ठहराये जा रहे व्यक्ति का नाम लेकर एवं देवी-देवता-पूर्वजों को साक्षी मानकर लोटा पानी व तांबा अर्पित कर धरम डाक देते हैं. धरम डाक देकर फैसला का अधिकार देवी-देवता व पूर्वजों को हाथों में सौंप दिया जाता है.
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