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जहां मनरेगा में काम नहीं, वहां हो रहा सोशल ऑडिट

जमशेदपुर प्रखंड 55 पंचायतों में से 12 पंचायतों में ही चलती हैं मनरेगा की योजनाएं अर्ध शहरी क्षेत्र हलुदबनी में सोशल ऑडिट टीम बिना जनसुनवाई के लौटी वन क्षेत्र पूर्वी घोड़ाबांधा में छह घंट सुनवाई के बाद पदाधिकारियों ने कहा-नहीं करा सकते हैं काम सर्वे के लिए मिलते हैं "3500 जमशेदपुर : ग्रामीण विकास विभाग […]

जमशेदपुर प्रखंड

55 पंचायतों में से 12 पंचायतों में ही चलती हैं मनरेगा की योजनाएं
अर्ध शहरी क्षेत्र हलुदबनी में सोशल ऑडिट टीम बिना जनसुनवाई के लौटी
वन क्षेत्र पूर्वी घोड़ाबांधा में छह घंट सुनवाई के बाद पदाधिकारियों ने कहा-नहीं करा सकते हैं काम
सर्वे के लिए मिलते हैं "3500
जमशेदपुर : ग्रामीण विकास विभाग की ओर से बुधवार को जिले के 11 प्रखंडों की 13 पंचायतों में मनरेगा की योजनाओं के सामाजिक अंकेक्षण की जनसुनवाई आयोजित की गयी. इनमें जमशेदपुर प्रखंड के दो पंचायत हलुदबनी और पूर्वी घोड़ाबांधा भी शामिल थे. ये दोनों ऐसी पंचायतें हैं जहां मनरेगा की योजनाएं संचालित नहीं होती हैं.
हलुदबनी जहां अर्ध शहरी क्षेत्र है, वहीं पूर्वी घोड़ाबांधा वन क्षेत्र के अंतर्गत आता है. जमशेदपुर प्रखंड की कुल 55 पंचायतों में 12 पंचायतों में ही मनरेगा की स्कीम चलती हैं. लेकिन विभाग की ओर से भेजे गये शिड्यूल में सभी प्रखंड की सभी पंचायतों को शामिल किया जा रहा है. यही नहीं, जनसुनवाई के पूर्व एक हफ्ते तक विभाग द्वारा गठित सर्वे टीम द्वारा मनरेगा के तहत चल रही योजनाओं की उपयोगिता, गुणवत्ता और बनने वाली संभावित योजनाओं का जायजा लेती है. जिसके लिए प्रतिदिन सर्वे टीम को 500 रुपये के हिसाब से भुगतान भी करती है.
यानी एक पंचायत में 3500 रुपया सर्वे और फिर जनसुनवाई का खर्च सरकार के जिम्मे आ रहा है. लेकिन ऐसी पंचायतों में जहां मनरेगा का काम होना ही नहीं है, यह कवायद बेकार साबित हो रही है. बुधवार को हलुदबनी से जहां जनुसनवाई करने गयी टीम को बैरंग लौटना पड़ा, वहीं पूर्वी घोड़ाबांधा में जनसुनवाई में 200 लोगों के जुट जाने के कारण सुनवाई छह घंटे तक चली,
लेकिन अंत में पदाधिकारियों को कहना पड़ा, कि हम यहां मनरेगा की योजनाएं नहीं चला सकते, लेकिन ग्रामीणों की जरूरतों से सरकार को अवगत करायेंगे. यहां सर्वे टीम द्वारा ग्रामीणों का मनरेगा का जॉब कार्ड भी बना दिया गया. जमशेदपुर बीडीओ पारूल सिंह ने इस परिस्थिति में सुधार का दावा किया है.
गुरुवार को घोड़ाबांधा के दूसरे पंचायत में होने वाले सोशल ऑडिट की जनसुनवाई को रद्द कर दिया गया है.
पूर्वी घोड़ाबांध में छाया रहा विकास का मुद्दा. मनरेगा योजना की सोशल ऑडिट की टीम ने पूर्वी घोड़ाबांधा पंचायत भवन में सुबह दस से शाम चार बजे तक जनसुनवाई की. इस दौरान पंचायत में विकास कार्यों के ठप होने का मुद्दा छाया रहा. ग्रामीणों ने इसमें पंचायत की दर्जनों योजनाओं को लेने का अनुरोध किया, लेकिन पंचायत सचिव रवींद्रनाथ खरमैया ने वन भूमि होने का हवाला देते हुए वहां कार्य नहीं कर पाने की मजबूरी गिनायी. ग्रामीणों ने इस पर आपत्ति भी दर्ज की.
जन सुनवाई में छोड़ी-बड़ी 25 नयी सड़कों, कच्ची नालियों की दो, सिंचाई कूप की चार, बकरी शेड निर्माण के अलावा विधवा पेंशन, महिला पेंशन से संबंधित मुद्दे प्रमुखता से उठे. सोशल अॉडिट के लिए पहुंची टीम में सीता सोरेन एवं ललिता प्रसाद शामिल थीं, जबकि ग्राम प्रधान बहादुर बेसरा, जमशेदपुर प्रखंड के पंचायती राज पदाधिकारी मनोज कुमार झा, मनरेगा के जेइ रघुनाथ शर्मा, पंचायत सचिव रवींद्र खरमैया, रोजगार सेवक शेखर सिन्हा आदि शामिल थे.
सोशल अॉडिट की जनसुनवाई का प्रोग्राम मुख्यालय स्तर से बना था. हलुदबनी में अर्द्ध शहरी क्षेत्र होने के कारण जनसुनवाई नहीं हुई अौर टीम कुछ लोगों से बात कर लौट गयी. पूर्वी घोड़ाबांधा में जनसुनवाई हुई, लेकिन वन क्षेत्र के कारण मनरेगा की एक भी योजना नहीं जायेगी. सोशल अॉडिट टीम को उन्हीं 12 पंचायतों में भेजने का अनुरोध किया जायेगा, जहां मनरेगा की योजनाएं संचालित हैं.
पारूल सिंह, बीडीओ, जमशेदपुर प्रखंड.

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