उनकी बहाली 26 साल पूर्व गार्ड में हुई थी अौर उस समय ब्लड बैंक के नजदीक समाहरणालय था. जिस समय उनकी बहाली हुई, उस समय उनका काम सिर्फ सुबह में समाहरणालय का गेट खोलना अौर शाम में गेट बंद करना था. उस समय समाहरणालय परिसर में पुलिस तैनात थी अौर पुलिसकर्मियों द्वारा समाहरणालय में रोजाना झंडा फहराया अौर उतारा जाता था. लगभग तीन साल तक वह गार्ड के रूप में काम करते रहे. उसके बाद तत्कालीन उपायुक्त डॉ गोरेलाल यादव ने उन्हें राष्ट्रीय ध्वज फहराने अौर उतारने की जिम्मेवारी सौंपी.
उसके बाद से लेकर अब तक वह 23 सालों से रोजाना सुबह में समाहरणालय में राष्ट्रीय ध्वज फहराते हैं अौर शाम में सूर्यास्त के पूर्व ससम्मान उतार कर सुरक्षित स्थान पर रखते हैं. राष्ट्रीय ध्वज का पूरे सम्मान के साथ रोजाना उतारना अौर फहराने को श्री सुंडी गर्व का काम मानते हैं. धुर्वा सुंडी के अनुसार काफी काफी जिम्मेवारी वाला काम है. कभी गांव जाना भी होता है, तो अॉफिस खुलने के बाद जाते हैं अौर सूर्यास्त होने के पहले वह जिला मुख्यालय पहुंच जाते हैं, ताकि राष्ट्रीय ध्वज को उतार सकें. राष्ट्रीय ध्वज की जिम्मेवारी नहीं रहती, तो वह रात में या दूसरे दिन लौटते. श्री सुंडी के अनुसार शुरू में दी गयी यह जिम्मेवारी उसकी ड्यूटी अौर जिंदगी का अभिन्न अंग बन चुका है. उन्होंने वर्ष 2008 अौर 2012 में दो बार चार-चार दिन की छुट्टी ली. इस दौरान जिला मुख्यालय के एक अन्य कर्मचारी हरगुन झंडा फहराते अौर उतारते हैं.