जमशेदपुर : जमाअत ए इसलाम हिंद की महिला शाखा के तत्वावधान में आजादनगर ईदगाह मैदान में आयाेजित सभा काे संबाेधित करते हुए सह सचिव उम्मतुल रज्जाक ने कहा कि तीन तलाक महिलाआें पर जुल्म नहीं, बल्कि रहमत-वरदान है. इसलाम के उपदेश मानवता के लिए रहमत है आैर कुरआन इनसानाें के लिए मार्ग दर्शक है. जिंदगी की सभी समस्याआें का समाधान कुरआन में माैजूद है.
तलाक काे इसलाम में अच्छा नहीं ठहराया गया है, लेकिन पति-पत्नी के जीवन में कभी एेसी परिस्थिति उत्पन्न हाे जाती है आैर दाेनाें का साथ रहना असंभव हे जाता है, किसी की जान भी जा सकती है, ऐसी परिस्थिति में तलाक बेहतर है. तीन तलाक अाैर मुसलिम पर्सनल लॉ के तहत आयाेजित इस सभा में बड़ी संख्या में महिलाआें ने हिस्सा लिया. उम्मतुल रज्जाक ने कहा कि इसलाम में तीन तलाक देने के तरीके काे काफी बारीकी से समझाया गया है. इसलिए इसे महिलाआें पर जुल्म नहीं कहा जा सकता है.
इसलाम में निकाह, तलाक, हेबा, वरासत, खुला का तरीका बताया गया है. इसलाम के अंतिम दूत हजरत माेहम्मद स. ने 1400 वर्ष पूर्व जाे कानून बनाकर दिया, वह माैजूदा समय में मानवता पर रहमत है, उसमें किसी काे छेड़छाड़ का अधिकार नहीं है. मुसलिम समुदाय के साथ-साथ अन्य समुदाय के लाेग भी इसलाम काे समझें. माेहम्मद स. की जीवनी काे पढ़ें आैर उसमें से समस्याआें का हल ढूंढे. सभा में अंजुम परवीन, नुजहत बानाे, नासरा खातुन, रजिया शाहिन, आमना खातुन, कमर जहां के अलावा अन्य महिलाएं उपस्थित थीं.