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मासूम खुशबू की मौत पर, नहीं चेता प्रशासन
जमशेदपुर : कदमा उलियान ब्रह्मलोक धाम के पास टेंपो से गिरने के बाद कार से रौंदी गयी खुशबू ने गुरुवार की शाम दम तोड़ दिया. टीएमएच प्रबंधन ने इसकी घोषणा की. खुशबू को सीसीयू में रखा गया था. उसे सिर में गंभीर चोट लगी थी. उधर, इस हादसे के बाद भी प्रशासन नहीं चेता. शहर […]
जमशेदपुर : कदमा उलियान ब्रह्मलोक धाम के पास टेंपो से गिरने के बाद कार से रौंदी गयी खुशबू ने गुरुवार की शाम दम तोड़ दिया. टीएमएच प्रबंधन ने इसकी घोषणा की. खुशबू को सीसीयू में रखा गया था. उसे सिर में गंभीर चोट लगी थी. उधर, इस हादसे के बाद भी प्रशासन नहीं चेता. शहर में गुरुवार को भी असुरक्षित वाहनों में ठूंसकर बच्चों को ढोया जाता रहा.
खुशबू की मौत की सूचना पर परिजनों के साथ ही बस्ती के लोग भी टीएमएच में जमा हो गये. उधर, लोगों के आक्रोश को देखते हुए जिला प्रशासन की अोर से भी बड़ी संख्या में पुलिस बलों को टीएमएच में तैनात कर दिया गया था. बस्ती के लोगों ने टीएमएच प्रबंधन पर जहां बेहतर इलाज नहीं करने का आरोप लगाया तथा उक्त डॉक्टर को बुलाने की मांग की, जिसकी गाड़ी ने खुशबू को रौंदा था. घटना की जानकारी मिलने के बाद भाजपा के कदमा मंडल के प्रभारी दीपू सिंह टीएमएच पहुंचे. उन्होंने पूरे मामले की जानकारी ली. परिजनों की मांग के अनुसार कदमा थाना प्रभारी अनिमेष गुप्ता को टीएमएच बुलाया गया. टीएमएच परिसर में ही बस्ती के लोगों के सामने तय किया गया कि खुशबू के परिजनों को ज्यादा से ज्यादा मुआवजा दिलाने का प्रयास किया जायेगा. इसके लिए जिला प्रशासन की अोर से भी मदद की जायेगी. शुक्रवार की सुबह करीब 10.30 बजे टीएमएच परिसर में बस्ती के लोग, थाना प्रभारी व अन्य जमा होंगे, जिसके बाद शव को पोस्टमार्टम के लिए भेजा जायेगा. इस दौरान जमशेदपुर अभिभावक संघ के अध्यक्ष डॉ उमेश कुमार भी उपस्थित थे.
कार चालक पर होगी एफआइआर : कदमा थाना प्रभारी अनिमेष गुप्ता ने कहा कि सुबह में डॉ जेके लायक की कार के ड्राइवर पर खुशबू के पिता के बयान पर एफआइआर दर्ज होगा.
पहली परीक्षा देने जा रही थी खुशबू : खुशबू के परिजनों ने बताया कि वह बुधवार को अपने जीवन की पहली परीक्षा देने जा रही थी. इसलिए, वह काफी खुश थी. लेकिन, इससे पहले दुर्घटना हो गयी.
असुरक्षित वाहनों में क्यों ढोये जा रहे बच्चे?
मासूम खुशबू की मौत के बाद भी न तो प्रशासन चेता, न ही वाहन चालक. वाहन की अव्यवस्था व चालक की लापरवाही का यह कोई पहला मामला नहीं है. मासूम बच्चों की जान की चिंता किये बिना वाहन चालक चंद पैसे बचाने के िलए मानकों की अंदेखी कर रहे हैं. िनयम है कि स्कूली वाहनों में खिड़की व अन्य खुली जगहों में जाली लगे, जिससे बच्चे वाहन के बाहर हाथ भी न निकाल सकें. जबकि, ज्यादातर स्कूली वाहनों में ग्रील तक नहीं होती है.
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