|आसपास की ध्वनियों को मिक्स कर पेश करते हैं अनूठा संगीत
|डीजे विनायक को ध्वनियों से प्रयोग के शगल ने बनाया मशहूर
|लोगों को पसंद आ रहा है ध्वनि संयोजन का अनोखा प्रयोग
।।दुर्योधन सिंह।।
जमशेदपुरः संसार की हर ध्वनि में संगीत होने की बात करते कई लोग मिलेंगे, लेकिन उन ध्वनियों में संगीत के तत्व बिरले ही खोज पायेंगे. दैनंदिन जीवन में आसपास सुनाई देने वाली ध्वनियों का संगीत में अनूठा प्रयोग करने की अपूर्व कला विकसित की है नगर के युवा कलाकार विनायक कार्तिकेयन ने. जमशेदपुर में पले-बढ़े विनायक अभी बेंगलुरु में डीजेइंग के साथ-साथ ध्वनियों के साथ प्रयोग कर संगीत को नया आयाम दे रहे हैं. संगीत की परंपरागत अवधारणा से अलग होने के कारण विनायक को ऑडिएंस तक पहुंचने में समय लगा, किन्तु आज संगीत प्रेमियों में वे परिचय के मोहताज नहीं. पेशे से डीजे तथा उभरते कलाकार, विनायक बताते हैं कि वे आधुनिक इलेक्ट्रॉनिक उपकरण (कंप्यूटर) से संगीत की मिक्सिंग करते हैं. इसमें वे आसपास की ध्वनियों को संगीत में पिरोने की कोशिश करते हैं, जिससे उभरा नये तरह का संगीत लोगों को पसंद आ रहा है, यही उनकी उपलब्धि है.
जमशेदपुर में पले-बढ़े हैं
मूलत: तमिलनाडु मूल के विनायक का जन्म पटना (बिहार) में हुआ. पिता ए कार्तिकेयन वहांं पदस्थापित थे. बाद में जमशेदपुर तबादला होने पर परिवार जमशेदपुर आ गया जहां विनायक का बचपन बीता तथा यहीं लोयोला स्कूल से पढ़ाई शुरू हुई. विनायक मानते हैं कि पढ़ाई में वे कभी अच्छे नहीं रहे, क्योंकि शुरू से संगीत की ओर ही ध्यान था. वैसे रनिंग एवं शॉटपुट जैसे खेलों में भी रुचि रही. घर में कलात्मक रुचि तथा खुले विचारों वाली मां शोभा कार्तिकेयन से उन्हें कला-प्रतिभा विरासत में मिली. मां खुद गायिका हैं तथा पेंटिंग, क्राफ्ट्स आदि में उन्हें खासी पैठ रखती हैं. पिता माइनिंग क्षेत्र में फिनांशियल कंसल्टेंट हैं. विनायक खुद को भाग्यशाली मानते हैं कि उन्हें ऐसे माता पिता मिले जिन्होंने अपनी इकलौती संतान को उसकी इच्छा से विकसित होने की आजादी दी.
स्टार बनने की जल्दबाजी नहीं
विनायक कहते हैं कि संगीत या कला के क्षेत्र में आने वालों को आज स्टार बनने की बहुत जल्दी होती है, लेकिन उन्हें एसी जल्दी नहीं. संगीत उनके लिए फीलिंग्स का मामला अधिक है. वे कहते हैं कि वे साउंड डिजाइनिंग के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं, जिसमें वे अपने आसपास की ध्वनियों को संगीत में पिरोते हैं. ह्यलोनसम ट्रेनह्ण उनकी ऐसी संगीत कृति है जिसमें रेल यात्रा के दौरान रेकार्ड की ध्वनियों का संगीत में प्रयोग किया है. फिलहाल वे सोलो कार्य कर रहे हैं जिसमें अब तक 150 सिंगल्स ईपी तथा एक सोलो एलबम प्रस्तुत कर चुके हैं, जबकि दूसरा प्रक्रिया में है.
जमशेदपुर से है बेहद लगाव
विनायक कार्तिकेयन को जमशेदपुर से बेहद लगाव है. उनके माता-पिता तो जमशेदपुर में हैं ही, साथ ही बचपन की बेशुमार यादें भी हैं जो दिल में बसी हैं.
स्कूली जीवन के कई दोस्तों से आज भी वैसे ही संबंध हैं तथा शिक्षकों के प्रति मन में वही श्रद्धा है. जमशेदपुर दिल में बसा हुआ है.