उन्होंने कहा कि लोग भ्रमवश सत्य व्यवहार से दूर रहते हैं और इसी के कारण पतन की ओर अग्रसर होते रहते हैं. स्वामी जी ने बताया कि श्रीमद्भगवद्गीता के बारहवें अध्याय में भगवान स्वयं अपने प्रिय भक्तों के गुणों की चर्चा करते हैं. उन्होंने कहा कि आपको स्वयं में उक्त गुणों को लाना होगा. ऐसा करके ही आप स्वयं का उत्थान एवं समाज का कल्याण कर सकते हैं. स्वामी जी ने कहा कि संसार में सबसे बड़ा धन संतोष है. साधक को अपने अच्छे कर्मों से जो प्राप्त हो, उसे भगवान की कृपा समझ कर संतुष्ट एवं प्रसन्न रहना चाहिए.
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भ्रमवश सत्य व्यवहार से दूर रहते हैं लोग : भूमानंद
जमशेदपुर: सीआइआरडी में सोमवार से स्काइप के माध्यम से स्वामी भूमानंद तीर्थ का प्रवचन कार्यक्रम आरंभ हुआ. प्रवचन के प्रथम दिन उन्होंने सत्य व्यवहार पर विस्तार के साथ चर्चा की. उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि व्यवहार में सभी जगह सत्य की प्रतिष्ठा है. उन्होंने कहा कि लोग भ्रमवश सत्य व्यवहार से दूर […]
जमशेदपुर: सीआइआरडी में सोमवार से स्काइप के माध्यम से स्वामी भूमानंद तीर्थ का प्रवचन कार्यक्रम आरंभ हुआ. प्रवचन के प्रथम दिन उन्होंने सत्य व्यवहार पर विस्तार के साथ चर्चा की. उन्होंने अनेक उदाहरणों के माध्यम से बताया कि व्यवहार में सभी जगह सत्य की प्रतिष्ठा है.
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