आइटीसी में नया कानून राज्य हित में, छूट नहीं : निधि खरे (उमा 1, 2)फ्लैग- सेल्स टैक्स सचिव ने व्यापारियों को दो टूक कहा, आपकी मांग गलत- तीन साल से सरकार को आइटीसी के नाम पर हो रहा घाटा- छोटे व मंझोले व्यवसायी सरकार संचालन में मदद कर रहे – बड़े उद्योग जितना टैक्स दे रहे, उसे अधिक वापसी का दावा कर रहे वरीय संवाददाता, जमशेदपुरसेल्स टैक्स विभाग आइटीसी (इनपुट टैक्स क्रेडिट) में किसी तरह की छूट नहीं दे सकता है. व्यापारियों व उद्यमियों की मांग गलत है. नयी अधिसूचना राज्य हित में लिया गया फैसला है. उक्त बातें सेेल्स टैक्स विभाग की आयुक्त निधि खरे ने कहीं. वे बुधवार को सेल्स टैक्स कार्यालय में व्यापारियों व उद्यमियों के साथ बैठक कर रही थीं. उन्होंने कहा कि तीन साल से आइटीसी के नाम पर राज्य को घाटा हो रहा था. छोटे व्यापारी व उद्यमी टैक्स देकर राज्य संचालन में मदद कर रहे हैं. वहीं बड़े उद्योग आइटीसी के नाम पर जितना टैक्स दे रहे हैं, उससे ज्यादा सरकार से लेने का दावा पेश कर रहे हैं. ऐसे में यह सिस्टम नहीं चल सकता है. राज्य सरकार एक हजार करोड़ की कर्जदार हुईउन्होंने बताया कि झारखंड रॉ मैटेरियल वाला प्रदेश है. यहां बड़ा बाजार नहीं होने और माल की खपत कम होने के कारण आइटीसी अधिक हो रहा था. वहीं टैक्स वसूली कम हो रही थी. इस कारण सरकार करीब एक हजार करोड़ से ज्यादा की कर्जदार हो गयी है. उन्होंने बताया कि गुड़गांव में प्रोडक्शन करने वाली मारुति पूरा टैक्स वहीं चुकाती है, लेकिन आइटीसी नहीं ले पाती है. क्योंकि सारा सेल वहीं से होता है. आइटी के जमाने में स्टॉक ट्रांसफर व आइटीसी नहीं चल सकतीसेल्स टैक्स सचिव ने बताया कि आइटी के जमाने में लोग घरों पर सामान बेच रहे हैं. वहीं बड़ी कंपनियां ऑर्डर लेकर यहां से सेल नहीं दिखाती हैं. यहां की आबोहवा व संसाधन का उपयोग होता है, फिर भी टैक्स नहीं दिया जाता है. आइटीसी और स्टॉक ट्रांसफर से राज्य को नुकसान हो रहा है. इसे लेकर कड़े कदम उठाना विवशता है.छोटे व मंझोले उद्योगों को राहत देने पर हो रहा विचारश्रीमती खरे ने बताया कि छोटे व मंझोले उद्योगों को राहत देने पर विचार किया जा रहा है. दरअसल, उनकी कुछ मांगें जायज हैं. इसे लेकर बीच का रास्ता निकालने की कोशिश हो रही है. उनके संगठनों के लोग इस संबंध में उनसे मिले थे. इ-शॉपिंग पर कसेगा शिकंजासेल्स टैक्स सचिव ने बताया कि इ-शॉपिंग पर नकेल कसा जायेगा. इ-शॉपिंग के माध्यम से बड़ा कारोबार हो रहा है. जरूरी है कि ऐसी कंपनियों से टैक्स वसूला जाये. कुछ कंपनियों को दायरे में लाया गया है, लेकिन कुछ नहीं आयी हैं.
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आइटीसी में नया कानून राज्य हित में, छूट नहीं : निधि खरे (उमा 1, 2)
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