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ऐसा लगा अब जान नहीं बचेगी : घायल

ऐसा लगा अब जान नहीं बचेगी : घायल – टाटा स्टील के कोल प्लांट में हुए विस्फोट के घायलों ने बतायी आपबीती विस्फोट में घायल श्रमिक1. काश कुमार वर्मा2. मोहम्मद रशीद अख्तर (एचडीयू में भरती)3. कौशर अली उर्फ अकबर अली4. शशिकांत कुमार5. राजेश कुमार दास6. रंजीत महतो7. सुनील प्रसाद8. विकास कुमार वर्मा9. गालिब राजा10. प्रमोद […]

ऐसा लगा अब जान नहीं बचेगी : घायल – टाटा स्टील के कोल प्लांट में हुए विस्फोट के घायलों ने बतायी आपबीती विस्फोट में घायल श्रमिक1. काश कुमार वर्मा2. मोहम्मद रशीद अख्तर (एचडीयू में भरती)3. कौशर अली उर्फ अकबर अली4. शशिकांत कुमार5. राजेश कुमार दास6. रंजीत महतो7. सुनील प्रसाद8. विकास कुमार वर्मा9. गालिब राजा10. प्रमोद कुमार11. राजेश कुमार12. राजन कुमार13. शशिकांत कुमार14. अशोक राजभर15. पप्पू कुमार16. एसके पुष्टि17. अतुल कुमारघटना पर उठे सवाल 1. जब प्लांट में शट डाउन लिया गया था, तो हादसा कैसे हुआ2. क्या क्लिनिंग के जॉब में किसी तरह की लापरवाही बरती गयी3. क्या पाइप लाइन की सफाई में कोई लापरवाही थी 4. क्या आकलन करने में चूक रह गयी5. क्या सेफ्टी के नियमों का उल्लंघन कर काम कराया जा रहा था वरीय संवाददाता, जमशेदपुरटाटा स्टील के कोक प्लांट स्थित अमोनिया स्क्रबर में सोमवार को हुआ विस्पोट काफी भयावह और जोरदार था. विस्फोट होते ही कोक प्लांट के उक्त सेक्शन के कर्मचारी का अपनी-अपनी जान बचाने के लिए इधर-उधर भागने लगे. दुर्घटना में घायल श्रमिकों ने प्रभात खबर से बातचीत कर और पूरे घटना की जानकारी दी. हम बाल-बाल बच गये : रंजीतएसजीबी ठेका कंपनी के कर्मचारी रंजीत कुमार ने बताया कि वह परसुडीह में रहता है. वे लोग अमोनिया स्क्रबर में भाड़ा बांध रहे थे. इसी बीच जोरदार विस्फोट हुआ. हम लोग सबकुछ छोड़कर भागने लगे. पूर्व के हादसे से सीख लेते हुए हम दौड़कर सीधे एसेंबली प्वाइंट पहुंचे. विस्फोट के कारण ईंट और सीमेंट का मलबा गिरने से हमें चोटें आयी. उस वक्त लगा कि सबकुछ समाप्त हो गया. अब बचना मुश्किल है. किसी तरह हम लोग बचकर निकले. शुक्र है कि सभी सेफ्टी बेल्ट पहने हुए थे : सुनीलबागबेड़ा गणेश नगर निवासी सुनील कुमार ने बताया कि शुक्र है कि सभी लोग सेफ्टी बेल्ट पहने हुए थे, वरना हादसा काफी बड़ा हो सकता था. सभी लोग किसी तरह बचे हैं. ऊपर काम कर रहे अनिल कुमार और राजेश दास को ज्यादा चोटें आयी है. हम लोगों को भी चोट आयी है. भागने के दौरान हम लोग गिर गये थे. प्लांट में भगदड़ हो गयी थी. अगल-बगल काम करने वाले भी भाग गये : पुष्टिबहरागोड़ा के रहने वाले बर्मामाइंस लक्ष्मीनगर निवासी एसके पुष्टि एलएंडटी के लिए काम करते हैं. श्री पुष्टि ने बताया कि वे लोग अगल-बगल काम कर रहे थे. जैसे ही विस्फोट हुआ, ऊपर से मलबा गिरने लगा. उसे देख लोग जान बचाकर भागे. किसी तरह से हम लोग वहां से निकल पाये. अब तो सोचकर ही डर लग रहा है. एमडी समेत तमाम पदाधिकारी घटनास्थल पर पहुंचेघटना की सूचना मिलते ही सेफ्टी से जुड़े सभी अधिकारी पहुंच गये. बाद में टाटा स्टील के एमडी टीवी नरेंद्रन दल बल के साथ पहुंचे. उन्होंने पूरे घटना की जानकारी ली. हालात को काबू में पाने और प्लांट का कामकाज सामान्य कराने की कोशिश की. टाटा स्टील ने घटना की जांच शुरू कीटाटा स्टील में सोमवार को हुए हादसे की जांच के आदेश दिये गये हैं. कंपनी के एमडी ने तत्काल पूरे घटना की जांच कर रिपोर्ट करने को कहा है. इसे लेकर कई टास्क दिये गये हैं. घटना ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं. इन सवालों का जवाब खोजने का प्रयास चल रहा है. टीएमएच ने दिखायी तत्परता, मचा कोहरामटीएमएच ने पूरी तत्परता दिखायी. अस्पताल परिसर में कोहराम मच गया था. हालात की जानकारी मिलते ही टीएमएच के इमरजेंसी, बीसीयू, सीसीयू, आइसीयू व एचडीयू को अलर्ट कर दिया गया था. मरीजों के पहुंचते ही सबसे पहले इलाज शुरू किया गया. सुरक्षाकर्मी से लेकर तमाम लोग तत्परता से काम करते नजर आये. घायलों को तत्काल राहत पहुंचाने के लिए कोशिश शुरू की गयी. बिष्टुपुर पुलिस और डीएसपी जंसिता केरकेट्टा दल-बल के साथ वहां पहुंची थी. मुख्यमंत्री ने इलाज के दौरान भी वेतन देने का दिया निर्देशमुख्यमंत्री रघुवर दास शहर पहुंचते ही सबसे पहले टीएमएच पहुंचे. उन्होंने टीएमएच में घायलों के इलाज की स्थिति को देखी और उनका हाल-चाल जाना. अस्पताल के एचडीयू में उनके साथ डीसी भी मौजूद थे. सीएम ने वहां मौजूद टाटा स्टील के अधिकारियों को तत्काल कार्रवाई का निर्देश दिया. सबी कर्मचारियों को इलाज के दौरान भी पूरा वेतन देने का निर्देश दिया. उन्होंने डीसी से मामले की जांच कराने और आवश्यक कदम उठाने के निर्देश दिये. पहले भी हुए हैं हादसे, सीख लेने की जरूरतटाटा स्टील के एलडी-2 गैस होल्डर में विस्फोट समेत कई घटनाएं कंपनी परिसर में होती रही है. शायद इससे सीख नहीं लिया गया. यदि पूर्व के हादसों से सीख लिया जाता तो निश्चित तौर पर हादसे को रोका जा सकता था. इसे रोकने के लिए ठोस कदम उठाने की जरूरत है.

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