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मेरे राम-मेरे राम हर जन के हौं बल जाइ…

जमशेदपुर : बीर खालसा दल जमशेदपुर की आेर से साकची गुरुद्वारा परिसर मैदान में शनिवार से दाे दिवसीय 38वां गुरमति विचार अते कीर्तन दरबार का आयाेजन किया गया. इसमें हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर से भाई जुझार सिंह, चंडीगढ़वाले भाई देशदीप सिंह, दिल्लीवाले कथावाचक भाई बलजीत सिंह, इंदरजीत सिंह, हजूरी रागी जत्था साकची द्वारा […]

जमशेदपुर : बीर खालसा दल जमशेदपुर की आेर से साकची गुरुद्वारा परिसर मैदान में शनिवार से दाे दिवसीय 38वां गुरमति विचार अते कीर्तन दरबार का आयाेजन किया गया. इसमें हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसर से भाई जुझार सिंह, चंडीगढ़वाले भाई देशदीप सिंह, दिल्लीवाले कथावाचक भाई बलजीत सिंह, इंदरजीत सिंह, हजूरी रागी जत्था साकची द्वारा संगत काे निहाल किया गया.
आयाेजन की शुरुआत आठ नवंबर से की गयी थी. स्त्री सत्संग सभा द्वारा 12 नवंबर तक जपुजी साहिब का निरंतर पाठ किया गया. जिसके बाद श्री अखंड पाठ की आरंभता हुई, जिसका समापन शनिवार को सुबह नाै बजे हुआ. साकची गुरुद्वारा के ग्रंथी भाई सुरेंद्र सिंह ने अरदास की, जिसके बाद कीर्तन दरबार की शुरुआत हुई. रविवार काे दाेपहर दिन में 12 से 2 बजे तक गुरु का अटूट लंगर वितरित किया जायेगा.
गुरुवाणी से हुई कीर्तन दरबार की शुरुआत
शनिवार काे आयाेजित कीर्तन दरबार की शुरुआत साकची के हजूरी रागी भाई इंदरजीत सिंह के गुरुवाणी गायन से हुई. उन्हाेंने घर बाहर तेरा परवासा…, तून जन के है संग… का गायन किया. साकची के हजूरी रागी भाई अजीत सिंह ने हर काे नाम सदा सुख दाई… का गायन किया. चंडीगढ़वाले भाई देशदीप सिंह ने …सबै घट राम बाेले रामा बाेले, राम बिना काे बाेले रे… का गायन किया. दिल्ली के कथा वाचक ज्ञानी बलजीत सिंह ने गुरुवाणी के उद्देश्य की व्याख्या करते हुए बताया कि अमीर वाे नहीं हैं,
जिनके पास धन-दाैलत, गाड़ियां या बड़ी-बड़ी इमारतें हैं, बल्कि अमीर वाे हैं, जिनके पास गुरुवाणी है, गुरुवाणी काे विचारता है आैर दुनिया के साथ सुख-दुख में खड़ा रहता है आैर गुरुवाणी के विचाराें काे साझा करता है आैर उस पर चलता है. हजूरी रागी श्री दरबार साहिब अमृतसरवाले भाई जुझार सिंह ने … साहिब मेरा नीत नवां, सदा-सदा दातार…. मेरे राम-मेरे राम हर जन के हाैं बल जाइ… का गायन किया. दाेपहर के कार्यक्रम की समाप्ति के बाद शाम काे रहिरास साहिब के पाठ के साथ कीर्तन दरबार की शुरुआत की गयी. पहले भाई इंदरजीत सिंह, ज्ञानी बलजीत सिंह, भाई जुझार सिंह आैर भाई देशदीप सिंह ने अपनी वाणी से संगत काे निहाल किया.
सक्रिय सहयोग किया
रविंदर सिंह भाटिया, परमजीत सिंह काले, जाेगिंदर सिंह दीप, हरजीत सिंह, गुरुनानक सेवा दल के प्रधान सरदार हरविंदर सिंह मंटू, पप्पी बाबा, श्याम सिंह भाटिया, सरबजीत सिंह, सुखदेव सिंह, राजविंदर सिंह, गुरविंदर सिंह, अवतार सिंह पिंटू, रणजीत सिंह, सतनाम सिंह, हरदीप सिंह, नरेंद्र सिंह, गुरुदेव सिंह राजा, दलबीर सिंह, अवतार सिंह फूरती

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