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ऑनलाइन कारोबार ने रिटेलरों की नींद उड़ायी

जमशेदपुर: ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता ट्रेंड शहर के खुदरा व्यापार को जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है. जमशेदपुर के रिटेलरों का बाजार में मंदी की स्थिति है. लगातार रिटेलरों का कारोबार घटता जा रहा है. इससे कई कारोबारी कर्ज में डूब रहे हैं. खुदरा कारोबारियों की संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक, ई-कॉमर्स […]

जमशेदपुर: ऑनलाइन खरीदारी का बढ़ता ट्रेंड शहर के खुदरा व्यापार को जबरदस्त नुकसान पहुंचा रहा है. जमशेदपुर के रिटेलरों का बाजार में मंदी की स्थिति है. लगातार रिटेलरों का कारोबार घटता जा रहा है. इससे कई कारोबारी कर्ज में डूब रहे हैं. खुदरा कारोबारियों की संस्था कॉन्फेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स (सीएआईटी) के मुताबिक, ई-कॉमर्स के कारण 24 श्रेणी के खुदरा कारोबार में पिछले साल की तुलना में 35% से 40% की गिरावट दर्ज हुई है. इससे संबंधित रिपोर्ट सिंहभूम चेंबर ऑफ कॉमर्स को भी दी गयी है. मोबाइल, कन्ज्यूमर गुड्स, इलेक्ट्रॉनिक प्रोडक्ट, गिफ्ट आइटम, पर्सनल केयर, ज्वेलरी, फुटवियर जैसे सेक्टर का 40% व्यवसाय दो वर्षों में इ-कामर्स की ओर स्थानांतरित हो गया है.

अमेजन, फ्लिपकार्ट और स्नैपडील जैसी ऑनलाइन कंपनियां इस समय सेल चला रही है. इस कारण दिवाली के बाजार में रौनक नहीं दिख रही है. 18 से 35 साल की उम्र के ग्राहकों ने खरीदारी का ट्रेंड बदला है. ये बाजार जाने की जगह ऑनलाइन खरीदारी कर रहे हैं. ऑनलाइन कारोबार में हर साल हो रही वृद्धि ने खुदरा व्यवसयियों की चिंता बढ़ा दी है. इस कारण व्यपारी संगठन आंदोलन के मूड में है.

सरकार नहीं बना पायी सिस्टम : राज्य सरकार भी इ-कॉमर्स पर नकेल कसने और टैक्स वसूलने की कोशिश कर रही है, लेकिन इसके लिए अबतक सिस्टम नहीं बन सका है. इसे लेकर बिहार, बंगाल और ओड़िशा सरकार ने कमर कस ली है, लेकिन झारखंड में सिस्टम नहीं बन पाने से मुश्किलें बढ़ी है.

…तो कर्जदार होते जायेंगे व्यवसायी : चेंबर
राज्य सरकार ऐसी कंपनियों पर नकेल नहीं कस रही है. जल्द सिस्टम नहीं बना, तो रिटेलरों की मुश्किलें बढ़ जायेगी. सभी लोग कर्जदार होते जा रहे हैं. हालात बदतर हो रहे हैं. इसे रोकने के लिए उपाय नहीं किया जाना दुर्भाग्यपूर्ण है. -सुरेश सोंथालिया, अध्यक्ष, सिंहभूम चेंबर

सिस्टम बनाना जरूरी
सिस्टम राज्य सरकार को बनाना ही होगा. ऐसा नहीं होने पर नकेल नहीं कसा जा सकेगा. इ कॉमर्स कंपनियां दिल्ली या अपने मुख्यालय में टैक्स देकर आती है. इन पर कैसे टैक्स लगाया जायेगा, इसके लिए बकायदा कानून बनाना होगा.
-मुरलीधर केडिया, टैक्स एक्सपर्ट

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