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कलश स्थापन के साथ नवरात्र कल से

कलश स्थापन के साथ नवरात्र कल से (फोटो लगा लें तो अच्छा) लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर शारदीय नवरात्र का शुभारंभ मंगलवार (13 अक्तूबर) को हो रहा है. वैसे तो मंगलवार को समस्त पूर्ण प्रतिपदा होने के कारण प्रात: 5:44 बजे के पश्चात कलश स्थापना का मुहूर्त आकरंभ हो जायेगा, जो संध्या 5:18 बजे तक किया […]

कलश स्थापन के साथ नवरात्र कल से (फोटो लगा लें तो अच्छा) लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर शारदीय नवरात्र का शुभारंभ मंगलवार (13 अक्तूबर) को हो रहा है. वैसे तो मंगलवार को समस्त पूर्ण प्रतिपदा होने के कारण प्रात: 5:44 बजे के पश्चात कलश स्थापना का मुहूर्त आकरंभ हो जायेगा, जो संध्या 5:18 बजे तक किया जा सकता है. नवरात्र में कलश स्थापना से नवमी तिथि तक व्रत करने से नवरात्र पूर्ण होता है, तिथि के ह्रास अथवा वृद्धि से इसमें न्यूनता या अधिकता नहीं होती है. इसके तहत 1. प्रतिपदा से सप्तमी पर्यंत सप्त रात्र, 2. पंचमी को एकभुक्त, षष्ठी को नक्त व्रत, सप्तमी को अयाचित, अष्टमी को उपवास एवं नवमी को पारण करने से पंचरात्र, 3. सप्तमी, अष्टमी एवं नवमी के एकभुक्त व्रत से त्रिरात्र, 4. आरंभ एवं सप्तमी के दो व्रतों से युग्म रात्र, 5. आरंभ या सप्तमी के व्रत से एक रात्र के रूप में जो भी व्रत किया जाय, उसी से अभीष्ट की सिद्धि होती है.कैसे करें कलश स्थापनकलश स्थापना के लिए स्नानादि से निवृत्त होने के पश्चात पूजा स्थल पर रेशम, कंबल या कुश के आसन पर बैठें एवं ‘ॐ केशवाय नम:, ॐ माधवाय नम:, ॐ नारायणाय नम:’ मंत्र के साथ आचमन करें, फिर ‘ॐ ऋषिकेशाय नम:’ मंत्र के साथ हाथ धो लें.अब पूजन सामग्री पर गंगाजल छिड़क कर उन्हें शुद्ध करें एवं सुपारी पर मौली लपेट कर उसे श्रीगणेश के रूप में चौकी पर अक्षत रख कर उस पर स्थापित करें. इसके बाद स्वस्ति वाचन करें एवं गणेश भगवान की अक्षत, पुष्प अर्पित कर गणेश अंबिका का पूजन करें. फिर गणेश के दायें अंबिका का आह्वान कर उनका पूजन करें. चौकी पर माता दुर्गा की प्रतिमा (या चित्र) स्थापित कर अखंड दीप प्रज्वलित करें. घट स्थापना के लिए पहले घट पर स्वास्तिक का चिह्न बनायें एवं घट के कंठ पर मौली लपेटें एवं शुद्ध मिट्टी बिछाकर दायें हाथ से भूमि का स्पर्श करते हुए पूजन करें, फिर जौ को मिट्टी में प्रक्षेपित कर मिट्टी पर मंत्रोच्चार के साथ कलश की स्थापना करें. वैसे तो पूजन तीन प्रकार से होता है- राजसी, तामसिक एवं सात्विकी, लेकिन इसमें सात्विकी पूजा पर ही जोर देना चाहिए. रोज संभव न हो तो 1, 3, 5 दिन तक (विषम दिन) इसका पाठ करें एवं उसके बाद मां की आरती, पुष्पांजलि, प्रदक्षिणा, दंडवत प्रणाम कर क्षमा याचना करने के उपरांत ही पूजन पूर्ण होता है.————–कलश स्थापना का मुहूर्तसामान्य : प्रात: 5:44 से 9:55 बजे तकउत्तम : 5:44 से 6:05 बजे तकउत्तम : 10:36 से 12:40 बजे तकउत्तम : अपराह्न 4:01 से 5:17 बजे तकअति उत्तम : 11:08 से 11:55 बजे तकवर्जित काल : अपराह्न 2:24 से 3:51 बजे तक

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