निश्चल में ध्यान लगेगा (फोटो : ऋषि.)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मन निश्चल होगा, तो ही भगवान के ध्यान में लगेगा. यह बातें स्वामी दिव्यानंद ने कहीं. स्वामी बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आर्ट ऑफ लीविंग द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को भागवत कथा का रसपान करा रहे थे. कई प्रसंग सुनायेउन्होंने श्रद्धालुओं को भगवान श्रीकृष्ण की बाल लीला, गोवर्द्धन पूजा, अगासुर वध का प्रसंग सुनाया. छप्पन भोग व भजन श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र रहे. पूतना वध पर स्वामी दिव्यानंद ने कहा कि पूतना का अर्थ अज्ञान है. यह काम-क्रोध का प्रतीक है. शरीर में जो रजो गुण हैं, भगवान ने उसे ज्ञान के वजन से नाश किया. रजोगुण का नाश होने के बाद भगवान बाल लीला करते हैं. जब काम-क्रोध और रजोगुण मिट जाता है, तब ही हम लीला कर सकते हैं. स्वामी ने कहा कि बड़े-बड़े योगी बलपूर्वक मन को स्थिर करते हैं. जबकि गोरियों को मन स्थिर करने के लिए बल की जरूरत नहीं होती. वे सहज भाव से श्रीकृष्ण के प्रति मन को समर्पित कर देती हैं और उन्हीं के साथ जीती हैं. भजन रहे आकर्षण का केंद्र- मेरे बांके बिहारी लाल …- राधिका गोरी से, बिरज की छोरी से …- चोरी चोरी माखन खा गयो रे …- मुरली वाले से मुझको मिला दे रे …- श्री गोवर्धन महाराज तेरे …
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माइकल जॉन प्रेक्षागृह में आर्ट ऑफ लीविंग की श्रीमद्भागवत कथा
निश्चल में ध्यान लगेगा (फोटो : ऋषि.)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर मन निश्चल होगा, तो ही भगवान के ध्यान में लगेगा. यह बातें स्वामी दिव्यानंद ने कहीं. स्वामी बिष्टुपुर स्थित माइकल जॉन ऑडिटोरियम में आर्ट ऑफ लीविंग द्वारा आयोजित श्रीमद्भागवत कथा के पांचवें दिन श्रद्धालुओं को भागवत कथा का रसपान करा रहे थे. कई प्रसंग सुनायेउन्होंने […]
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