गौरतलब है कि सितंबर-2012 में शुरू होने के बाद से मई 2015 तक खाद्य जांच प्रयोगशाला ने कुल 2858 खाद्य सैंपल की जांच की है. इनमें से कुल 522 सैंपल जांच में फेल हो गये. कुल जांच सैंपल में से 40 निकोटिन युक्त खाद्य (पान मसाला या गुटका) के थे, जिनमें से 34 जांच में फेल हुए. इन तमाम फेल नमूने के विरुद्ध 160 मामले उपायुक्त की अदालत में ले जाये गये. इनमें से 60 में विक्रेताओं को जुर्माने के रूप में 1.28 करोड़ रुपये अदा करने को कहा गया, पर ज्यादातर संबंधित विक्रेताओं ने उक्त आदेश को अदालत में चुनौती दी है.
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कैसे होगी धातु व सूक्ष्म जीव की जांच
जमशेदपुर. झारखंड की राज्य खाद्य प्रयोगशाला में खाद्य नमूने की बुनियादी जांच की ही सुविधा है. खाद्य या पेय में किसी विषाक्त (पॉयजनस) के होने, धातु (लेड, जिंक, कॉपर या अन्य) की उपस्थिति या फिर सुक्ष्म जीव संबंधी (माइक्रो बायोलॉजिकल) जांच राज्य खाद्य प्रयोगशाला में नहीं हो सकती है. अभी मैगी के सैंपल जांच के […]
जमशेदपुर. झारखंड की राज्य खाद्य प्रयोगशाला में खाद्य नमूने की बुनियादी जांच की ही सुविधा है. खाद्य या पेय में किसी विषाक्त (पॉयजनस) के होने, धातु (लेड, जिंक, कॉपर या अन्य) की उपस्थिति या फिर सुक्ष्म जीव संबंधी (माइक्रो बायोलॉजिकल) जांच राज्य खाद्य प्रयोगशाला में नहीं हो सकती है. अभी मैगी के सैंपल जांच के लिए कोलकाता भेजे जाने का यही कारण है.
स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के अनुसार खाद्य संरक्षा व मानक अधिनियम के लागू होने के बाद यह जरूरी है कि राज्य की केंद्रीय प्रयोगशाला में हर तरह की जांच की सुविधा हो. इससे सैंपल को बाहर नहीं भेजना पड़ेगा. वहीं जरूरी हो, तो किसी खाद्य या पेय सैंपल की जांच तत्काल भी की जा सकती है.
60 फीसदी ड्रग्स जांच ही संभव
औषधि (ड्रग्स) जांच प्रयोगशाला में अभी 60 फीसदी ड्रग्स की ही जांच हो सकती है. यहां माइक्रो बायोलॉजिकल उपकरण तथा हाइ परफॉर्मेस लिक्विड ऑरेंटोग्राफ मशीन नहीं है. मशीन की कीमत 30 लाख रुपये है.
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