ऐसे में केबुल कंपनी टाटा स्टील को सौंपने का मार्ग प्रशस्त हो चुका है. इस मामले में हाइकोर्ट में 21 अप्रैल को फिर सुनवाई होगी, जिसमें टाटा स्टील का प्रस्ताव देखा जायेगा. दिल्ली हाइकोर्ट में टाटा स्टील को केबुल कंपनी को लेकर विस्तारित परियोजना सौंपने को कहा गया है. गुरुवार को सुनवाई में टाटा स्टील की पैरवी अधिवक्ता दुश्यंत कुमार, जबकि आरआर केबुल की पैरवी बीके सिन्हा और राजीव नायर और केबुल यूनियन की पैरवी महामंत्री राम बिनोद सिंह के अधिवक्ता विकास सिंह और संजीव सेन ने की.
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टाटा स्टील को मिले केबुल कंपनी
जमशेदपुर: बायफर, आयफर व एसबीआइ द्वारा टाटा स्टील को केबुल कंपनी का सही बिडर घोषित करने के फैसले पर दिल्ली हाइकोर्ट ने मुहर लगा दी है. दिल्ली हाइकोर्ट में गुरुवार को न्यायमूर्ति बदर दुरेज अहमद ने अपना फैसला सुनाया. इसमें कहा गया कि इस मामले में बायफर, आयफर या ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया […]
जमशेदपुर: बायफर, आयफर व एसबीआइ द्वारा टाटा स्टील को केबुल कंपनी का सही बिडर घोषित करने के फैसले पर दिल्ली हाइकोर्ट ने मुहर लगा दी है. दिल्ली हाइकोर्ट में गुरुवार को न्यायमूर्ति बदर दुरेज अहमद ने अपना फैसला सुनाया. इसमें कहा गया कि इस मामले में बायफर, आयफर या ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ही सही फैसला ले सकते हैं.
18 दिसंबर से फैसला था सुरक्षित. केबुल कंपनी (इंकैब इंडस्ट्रीज) खोलने को लेकर बायफर में सुनवाई हुई थी. इसमें टाटा स्टील, आरआर केबुल और पेगासस कंपनी की ओर से अपना बिड डाला गया था. सभी ने टेकओवर करने की इच्छा जतायी थी. ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक और बायफर ने टाटा स्टील को सफल बिडर माना था. इसके बाद दिल्ली हाइकोर्ट में बायफर के इस फैसले को आरआर केबुल ने चुनौती दी थी. इसमें पेगासस भी पार्टी थी, लेकिन सुनवाई के दौरान पेगासस ने अपने बिड को वापस ले लिया. इस मामले में कई दौर की सुनवाई हुई. आरआर केबुल और उसके समर्थित यूनियनों की ओर से अलग-अलग दलील दी गयी थी. इसमें टाटा स्टील और उससे जुड़ी यूनियनों की ओर से भी दलील दी गयी थी. इसके बाद 18 दिसंबर 2014 को सुनवाई पूरी हो गयी थी. हाइकोर्ट ने फैसले को सुरक्षित रख लिया.
बायफर में नहीं हो सकी सुनवाई. गुरुवार को बायफर में भी सुनवाई की तिथि निर्धारित की गयी थी. इसमें भाग लेने के लिए सभी पक्ष के लोग पहुंचे थे. अध्यक्ष के मौजूद नहीं रहने के कारण सुनवाई नहीं हो सकी. अब फिर सुनवाई की तिथि निर्धारित की जायेगी.
फैसला मजदूर हित में: रवींद्र
केबुल बचाओ संघर्ष समिति के महामंत्री रवींद्र मिश्र ने एक प्रेस विज्ञप्ति जारी कर दिल्ली हाइकोर्ट के फैसले का स्वागत किया है. उन्होंने कहा है कि यह मजदूर हित में उठाया गया कदम है. इस आदेश से कंपनी के 12 सौ कर्मचारियों के जीवन में नया सवेरा आयेगा. उन्होंने उम्मीद जतायी है कि कंपनी को फिर से शुरू करने की योजना तैयार किया जाये.
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