जमशेदपुर: केंद्र सरकार ने ग्रामीण बैंकों के प्रॉफिट मेकिंग सेंटर (शाखा) के कर्मियों को पेंशन देने का फैसला किया है,लेकिन जो सेंटर (शाखा) नुकसान में हैं, उन्हें नहीं देने संबंधी हलफनामा सुप्रीम कोर्ट में पेश किया है. इसके विरोध में ग्रामीण बैंक की राष्ट्रीय यूनियन ने अपना विरोध सुप्रीम कोर्ट में प्रस्तुत कर दिया है. सरकार द्वारा सौंपे गये हलफनामा में बताया गया है कि देश भर के 62 ग्रामीण बैंकों में से महज 24 ग्रामीण बैंक ही रिजर्व प्रॉफिट हासिल कर रहे हैं. ऐसे में सभी को पेंशन देना संभव प्रतीत नहीं होगा. ग्रामीण बैंक की राष्ट्रीय यूनियन ने इसके पूर्व कनार्टक और राजस्थान हाइकोर्ट द्वारा ग्रामीण बैंक कर्मियों को पेंशन हित में दिये गये फैसले को पूरे देश में लागू करने का आदेश दिया था, जिसके खिलाफ केंद्र सरकार सुप्रीम कोर्ट चली गयी थी.
यूनियन ने अपने वाद में कहा है कि सरकार द्वारा जो प्रॉफिट मेकिंग का कारण बताया गया है, वह बेतुका है. बैंक को फायदा और घाटा पहुंचानेवाली दोनों ही शाखाओं को मासिक वेतन सरकार द्वारा प्रदान किया जा रहा है. कर्मियों का मानना है कि मासिक वेतन से भी अहम पेंशन का मामला है.
ग्रामीण बैंकों ने मिलकर इस संबंध में जब विरोध जताया था तो नेशनल इंड्रस्ट्रियल ट्रिब्यूनल गठित किया गया था, जिसने अपने फैसले में कहा था कि समान काम का समान वेतन मिलना चाहिए, जैसा राष्ट्रीय बैंकों में मिलता है. इसके बाद ग्रामीण बैंककर्मियों को वेतन तो बेहतर मिलने लगा, लेकिन पेंशन समेत कुछ अन्य लाभ को रोक दिया गया. इसके खिलाफ राजस्थान और कर्नाटक हाईकोर्ट में यूनियन को जीत मिल चुकी है.