(फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सीएच एरिया स्थित सीआइआरडी परिसर में रविवार को सार्वजनिक विष्णु सहस्रनाम महायज्ञ का आयोजन किया गया. केरल से आये स्वामी भूमानंद तीर्थ के आचार्यत्व में आयोजित उक्त यज्ञ में केरल से आयी उनकी शिष्या मां गुरुप्रियाजी ने भी उनकी सहायता की. सीआइआरडी परिसर में बने भव्य पंडाल में आयोजित उक्त यज्ञानुष्ठान में प्रज्वलित 66 दीपों में से प्रत्येक दीप के समक्ष चार भक्त बैठ कर अर्चना कर सकते थे. पंडाल के एक छोर पर बने हवन कुंड के चारों ओर दस भक्त आहुति देने के लिए बैठे थे. प्रज्वलित दीप को विष्णु स्वरूप मान कर विष्णु के प्रत्येक नाम के साथ पुष्प दल से अर्चना की गयी. आरंभ में स्वामी जी ने बताया कि 5153 वर्ष पूर्व महाभारत के अंत में वाणों और शैया पर लेटे पितामह भीष्म ने युधिष्ठिर को इस यज्ञ के बारे में बताया था. उहोंने बताया कि विष्णु सहस्रनाम यज्ञ अश्वमेघ यज्ञ के समान महान प्राणदायी है. सामान्य लोगों के लिए आयोजित उक्त महायज्ञ के करने से मनुष्य के संचित कई जन्मों के पाप नष्ट हो जाते हैं तथा उन्हें श्री एवं यश की प्राप्ति होती है. उसी समय से यह यज्ञ होता आ रहा है. यज्ञ के दौरान महाविष्णु के हजार नामों से अर्चना करने के बाद महालक्ष्मी के 108 नामों से भी अर्चना की गयी. इसके बाद हवन कुंड में पूर्णाहुति की गयी जिसमें चावल, पांच प्रकार के फल, स्वर्ण एवं चांदी का एक-एक टुकड़ा आदि का हवन किया गया. यज्ञ के पश्चात उपस्थित भक्तों में से प्रत्येक को स्वामू जी ने अपने हाथ से प्रसाद प्रदान किया. इसके बाद भोग प्रसाद की व्यवस्था की गयी, जिसमें सैकड़ों लोग उमड़े.
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सीआइआरडी में हुआ यज्ञानुष्ठान, सैकड़ों ने ग्रहण किया भोग
(फोटो आयी होगी)लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर सीएच एरिया स्थित सीआइआरडी परिसर में रविवार को सार्वजनिक विष्णु सहस्रनाम महायज्ञ का आयोजन किया गया. केरल से आये स्वामी भूमानंद तीर्थ के आचार्यत्व में आयोजित उक्त यज्ञ में केरल से आयी उनकी शिष्या मां गुरुप्रियाजी ने भी उनकी सहायता की. सीआइआरडी परिसर में बने भव्य पंडाल में आयोजित […]
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