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रिम्स पर निर्भर एमजीएम अस्पताल के किडनी मरीज

जमशेदपुर: किडनी के मरीजों के लिए कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां न तो किडनी का कोई चिकित्सक है और न ही इलाज की समुचित व्यवस्था. प्रतिदिन 20-25 आ रहे किडनी के मरीजों को प्राइवेट अस्पताल या रिम्स रेफर किया जाता है, जिसका खर्च ज्यादातर मरीज वहन नहीं कर […]

जमशेदपुर: किडनी के मरीजों के लिए कोल्हान के सबसे बड़े अस्पताल एमजीएम में कोई व्यवस्था नहीं है. यहां न तो किडनी का कोई चिकित्सक है और न ही इलाज की समुचित व्यवस्था. प्रतिदिन 20-25 आ रहे किडनी के मरीजों को प्राइवेट अस्पताल या रिम्स रेफर किया जाता है, जिसका खर्च ज्यादातर मरीज वहन नहीं कर पाते. नतीजतन बीमारी के साथ जीने के अलावा उनके पास दूसरा कोई विकल्प नहीं है. सरकार की ओर से अस्पताल में अब तक किडनी के विशेषज्ञ की नियुक्ति नहीं की जा रही है.

नहीं जा पाते रांची
मेडिकल विभाग के एचओडी डॉ निर्मल कुमार के अनुसार किडनी के मरीज जो गरीब हैं, पैसे के अभाव में रिम्स नहीं जा पाते, जिस कारण उनका इलाज यहीं चलता है. अस्पताल से ही उनका यथासंभव इलाज किया जाता है.

रिम्स भेजने की व्यवस्था नहीं
मरीजों को एमजीएम से रिम्स भेजने की कोई व्यवस्था नहीं है. मरीज अस्पताल से एंबुलेंस लेकर रिम्स जा सकता है. जिसके लिए जमशेदपुर से 5 रुपये प्रति कि़मी के दर से किराया चुकाना होता है. गरीब मरीज इतनी राशि नहीं चुका पाते.

सरकार देती है पैसा
डॉ निर्मल कुमार ने बताया कि वैसे मरीज जो बीपीएल कार्डधारी हैं उनको सरकार से इलाज के लिए पैसा मिलता है. जिसके लिए मरीज को सिविल सजर्न कार्यालय में आवेदन देना होता है. डॉक्टरों की टीम द्वारा जांच के बाद डीसी ऑफिस से लाभुक को पैसा मिलता है.

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