डॉ. एम राजा, स्पेशलिस्ट इन स्पोर्टस मेडिसीनकहीं दर्द ना देने लगे सॉफ्ट टिशू इंजरीलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर लोगों को चोट लगने के कारण सॉफ्ट टिशू इंजरी होने का खतरा बना रहता है. खासतौर पर खिलाडि़यों को चोट लगने के कारण शरीर के जिस हिस्से पर चोट लगी हो उस स्थान पर सॉफ्ट टिशू इंजरी होने की संभावना ज्यादा रहती है. ऐसे में इस प्रकार की बीमारी का इलाज करवाना जरुरी हो जाता है. सॉफ्ट टिशू इंजरी होने के कारणों की बात की जाए तो चोट लगने के कारण शरीर के टिशू में जलन हो जाती है, जिसके कारण उस स्थान पर सूजन व जकड़न हो जाता है. ऐसे में इस बीमारी का प्रोपर ट्रीटमेंट करवाना जरुरी हो जाता है. नहीं तो यही बीमारी घातक रुप ले सकती है. शुरुआत में दवाईयों से यदि सुधार नहीं होता है तो फिजियोथैरेपी के द्वारा इलाज किया जाता है. ऐसा करने से ज्यादा जल्दी रिकवरी होता है. सॉफ्ट टिशू इंजरी के लक्षणों की बात की जाए तो यह होने से शरीर के जिस पार्ट में चोट लगी हो उस पार्ट में सूजन, जलन और काफी दर्द होता है. इस बीमारी में यदि दवाइयों से ठीक नहीं होता है तो फिजियोथैरेपी के द्वारा इलाज कर बीमारी को ठीक किया जाता है. बीमारी- सॉफ्ट टिशू इंजरीलक्षण- शरीर के जिस पार्ट में चोट लगी हो उस पार्ट में सूजन, जलन और काफी दर्द होता है.उपाय- इस बीमारी में यदि दवाइयों से ठीक नहीं होता है तो फिजियोथैरेपी के द्वारा इलाज कर बीमारी को ठीक किया जाता है.
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डॉ. एम राजा, स्पेशलिस्ट इन स्पोर्टस मेडिसीनकहीं दर्द ना देने लगे सॉफ्ट टिशू इंजरीलाइफ रिपोर्टर@जमशेदपुर लोगों को चोट लगने के कारण सॉफ्ट टिशू इंजरी होने का खतरा बना रहता है. खासतौर पर खिलाडि़यों को चोट लगने के कारण शरीर के जिस हिस्से पर चोट लगी हो उस स्थान पर सॉफ्ट टिशू इंजरी होने की संभावना […]
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