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गुम हुए परंपरागत छठ गीत

लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर पहले जहां छठ व्रती स्वयं छठ के गीत गाया करती थीं, वहां अब उनका स्थान आधुनिक गायक-गायिकाओं के गीतों ने ले लिया है. सिटी में रहने वाली महिलाएं तो अब पुराने छठ गीत भूलती भी जा रही हैं. भक्ति भाव हो गये हैं गायबपुराने छठ गीतों में भक्ति भावना, सूर्य देव […]

लाइफ रिपोर्टर @ जमशेदपुर पहले जहां छठ व्रती स्वयं छठ के गीत गाया करती थीं, वहां अब उनका स्थान आधुनिक गायक-गायिकाओं के गीतों ने ले लिया है. सिटी में रहने वाली महिलाएं तो अब पुराने छठ गीत भूलती भी जा रही हैं. भक्ति भाव हो गये हैं गायबपुराने छठ गीतों में भक्ति भावना, सूर्य देव एवं छठ माता के प्रति जो समर्पण का भाव होता था, आधुनिक गीतों में इसका अभाव है. पुराने छठ गीतों में जहां सिर्फछठ मइया एवं सूर्य देव की प्रार्थना शामिल होती थी, वहीं नये गीतों में ‘देवरा, ननदी, बलमुआ’ जैसे पात्र अधिक सुनने को मिल रहे हैं, वह भी भोड़े मजाक के अंदाज में. नये गीतों को सुन कर लोग मजा चाहे जितना उठा लें, भक्ति की भावना शायद ही किसी गीत से उमड़ती हो.

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