जमशेदपुर : कपाली में छोटी सी वेल्डिंग की दुकान चलानेवाले शमशेर अंसारी को फक्र है कि उन्हें पांच बेटियां है. उन्होंने कभी अल्लाह से यह चाहत नहीं की कि बेटा हो. उन्होंने अपनी पांचों बेटियों के साथ हमेशा दोस्त सा व्यवहार किया.
उनकी बेटियों ने भी अपने पिता की हैसियत को बखूबी समझा और कभी भी उनका विश्वास टूटने नहीं दिया. शमशेर कहते हैं कि यदि अगला जन्म है तो यही बेटियां फिर मिलनी चाहिए. रविवार को फादर डे के अवसर पर शमशेर अंसारी की बेटियों ने उनसे विशेष आग्रह किया है कि वे काम पर न जाये वे इस दिन को विशेष रूप से सेलिब्रेट करना चाहती हैं.
मानगो जाकिरनगर रोड नंबर 14 होल्डिंग नंबर 44 में रहनेवाले शमशेर अंसारी का निकाह यासमीन बेगम से हुआ था. इसके बाद उन्हें नायला शमशेर, शगुप्ता शमशेर, नेहा शमशेर, सारा शमशेर और आयशा शमशेर को जन्म दिया. आर्थिक परेशानियों के कारण बी कॉम की परीक्षा देने से शमशेर वंचित रह गये थे.
उसी वक्त उन्होंने तय कर लिया था कि अपने शरीर का कतरा-कतरा गिरवी रख देंगे, लेकिन बच्चों को पढ़ायेंगे और उनके पैरों पर खड़ा करेंगे. पांचों बेटियों को उन्होंने अंग्रेजी माध्यम से शिक्षा देने का फैसला किया. आज उनकी बेटियां मुहल्ले में शिक्षा के क्षेत्र में मिसाल पेश कर रही हैं. बड़ी बेटी नायला कंप्यूटर इंजीनियर है. इन दिनों वह अलकबीर में पढ़ा रही हैं.
उन्हें तीन बार डिसटिंक्शन मिला, टाटा कमिंस से उन्हें स्कलॉरशिप भी मिला. शगुप्ता भी कंप्यूटर इंजीनियर है और वह टॉपर रही हैं. नेहा ने सैकेंड इयर की परीक्षा पास कर इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग के क्षेत्र में थर्ड इयर में है. सारा ने प्लस टू में कांवेंट में दाखिला लिया है, जबकि आयशा केपीएस मानगो में पांचवीं की छात्र है. पांचों बेटियों के माता-पिता के प्रति एक से बढ़कर एक मजबूत थॉट हैं.
नायला ने कहा कि पापा ने कभी भी बेटा-बेटी का फर्क नहीं समझा. उनके सामने कभी भी बेटा का नाम ही नहीं लिया. छोटी दुकान है, पापा ने जितना किया, वह हम कभी सोच भी नहीं सकते. पापा जो उम्मीद करते हैं, हम सभी बहनें उससे बढ़ कर करने का प्रयास करती हैं.
गाजिर्यन कम एक अच्छा दोस्त की भूमिका में पापा हमेशा बेहतर की शिक्षा प्रदान करते हैं. पापा को फक्र है कि ऐसा कोई काम नहीं है जो बेटा कर सकता है, बेटी नहीं उनकी सफलता में अम्मा यासमीन बेगम का भी आशीर्वाद है.
– संजीव भारद्वाज –