जमशेदपुर: वर्ष 1954 में स्थापित आजाद नगर स्थित मदीना मसजिद की बुनियाद मक्का -मदीना से लायी गयी मिट्टी से रखी गयी थी. यही कारण है कि इस मसजिद का नाम मदीना मसजिद पड़ा. मसजिद की इंतजामिया कमेटी के रूप में अंजुमन इत्तेहादुल मुसलमीन ट्रस्ट है.
ट्रस्ट के संस्थापक सह ट्रस्टी मरहूम टी खान थे. उनके निधन के बाद ट्रस्टी के रूप में अब्दुल हफीज फिदाई को यह जिम्मेदारी सौंपी गयी है. कमेटी में अध्यक्ष मुख्तार अहमद उर्फ मिस्टर, सचिव अब्दुल वाहिद उर्फ जब्बार, सदस्यों में सैय्यद शौकत अली, उज्जैर अंसारी, मकबूल अंसारी के अलावा अन्य सक्रिय लोग सक्रिय हैं. कमेटी में नायब इमाम की भूमिका में मौलाना खुर्शीद रब्बानी हैं. जबकि इमाम के पद पर कारी निसार अहमद हैं. मौलाना जियाउल मुस्तफा के इस्तीफे के बाद से मुख्य इमाम का पद खाली है. ट्रस्ट की देखरेख में पब्लिक वेलफेयर स्कूल, मदरसा दारुल सलाम, ईदगाह मैदान, अब्दुल बारी मेमोरियल लाइब्रेरी का संचालन किया जाता है.
शैतानी हरकतें खत्म हो जाती हैं रमजान में. रमजान माह में अल्लाह शैतानों को कैद कर लेते हैं, स्वर्ग का रास्ता खोल दिया जाता है. इसलिए शैतानी हरकतें खत्म हो जाती हैं. यह उन्हीं लोगों के लिए है, जो रोजा रखते हैं. रोजा नहीं रखनेवालों को किसी भी तरह की छूट नहीं है. अल्लाह ने रोजा हर उस मुसलमान पर फर्ज किया है, जो बालिग है. अल्लाह के बताये मार्ग पर चलनेवालों को ही जन्नत नसीब होती है. रमजान में रोजा रखें और समय पर सेहरी और अफ्तार के साथ-साथ पांच वक्त के नमाजी और तरावीह के पाबंद बनें. -मौलाना खुर्शीद रब्बानी,नायब इमाम
प्लांट एसी, गार्डन और मार्बल लगाने की तैयारी: मदीना मसजिद में प्लांट एसी लगाये जाने की तैयारी चल रही है. इसके लिए अलग से एक बड़े ट्रांसफॉर्मर स्थापित कराया जा रहा है. मसजिद परिसर में ही एक भव्य गार्डन बनाने की योजना तैयार है. असर की नमाज पढ़ने के लिए आनेवाले बुजुर्ग मगरिब की नमाज तक यहां अपना वक्त बिताये, इसके लिए ग्रेनाइट-मार्बल से सीटिंग अरेजमेंट किया जा रहा है. मसजिद परिसर में व्हाइट मार्बल लगाने की भी योजना तैयार है. ईद के बाद इस पर काम शुरू होगा.मसजिद के पास ही बड़ा ईदगाह मैदान है, जहां ईद-बकरीद की नमाज में हजारों सिर एक साथ झुकते हैं.