- पुलिस भी नहीं कर पाती कई मामलों का खुलासा
- एटीएम में घुसकर भी उड़ा ले रहे नंबर व डाटा
जमशेदपुर : भले ही आप बैंक में लाखों रुपये जमा कर चैन की नींद सो रहे हों, लेकिन साइबर अपराधी आपके बैंक अकाउंट में सेंध लगाने के लिए तरह-तरह की जुगत भिड़ा रहे होते हैं. जैसे ही उन्हें आपके बैंक अकाउंट तक पहुंचने का रास्ता मिलता है वे खाते से पैसे निकाल लेते हैं. इसके लिए ओटीपी या अन्य किसी तरह का कोड जानने से लेकर खाता हैक करने तक की तरकीब अपनाते हैं. अगर आपका बैंक खाता का इंटरनेट बैंकिंग सर्विस एक्टिव है, तो खतरा और ज्यादा है.
साइबर थाना : तीन माह में 38 मामले दर्ज. बिष्टुपुर स्थित साइबर थाना में पिछले तीन माह में अब तक 38 मामले दर्ज हो चुके हैं. जिनमें एक दो मामले को छोड़ कर सभी मामले बैंक से रुपये की निकासी से संबंधित हैं. पुलिस इसकी जांच में जुटी हुई है. साइबर थाना के अनुसार दर्ज कई मामलों में अनुसंधान कर रही है. कई मामलों में पुलिस को सफलता भी मिली है. जिसमें अभियुक्तों को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया गया है. इसके अलावा दस लोगों के रुपये भी पुलिस वापस करवायी है.
इंटरनेट बैंकिंग सर्विस ज्यादा खतरनाक. साइबर एक्सपर्ट के अनुसार अगर आप इंटरनेट बैंकिंग का प्रयोग करते हैं तो आपके खाता के बारे में जानकारी प्राप्त करना आसान होता है. साइबर अपराधी एक्टिव इंटरनेट बैंक खाता से पूरी जानकारी आसानी से प्राप्त कर लेते हैं.
वे आपके खाता से होने वाले ट्रांजैक्शन के बारे में भी जानकारी प्राप्त कर लेता है. पूरी जानकारी प्राप्त कर उस बैंक खाता से रुपये निकाल सकता है. ऐसे मामले में ओटीपी की भी जरूरत नहीं होती है.
न ही मोबाइल पर रुपये निकासी का मैसेज आता है. इसके अलावा सोशल साइट पर अपडेट किया गया फोन नंबर और अन्य जानकारी प्राप्त कर भी उसका डिटेल रुपये निकासी के दौरान प्रयोग में लाते हैं. अगर फेसबुक पर कोई इस तरह के डिटेल्स मांगे तो न दें क्योंकि आपकी यह गलती भारी पड़ सकती है.
बैंक अधिकारी बन कर करते हैं फोन. साइबर अपराधी अक्सर बैंक अधिकारी बन कर उपभोक्ताओं के मोबाइल पर फोन करते हैं.उपभोक्ता को अपनी जाल में फंसाने के लिए तरह-तरह का झांसा देते हैं. जैसे आधार कार्ड से लिंक करना, एटीएम बंद होना, पासबुक अपडेट करना आदि.
जैसे ही उपभोक्ता झांसा में आकर ओटीपी या पिनकोड बताता है साइबर अपराधी खाता से आसानी से रुपये उड़ा लेते हैं. आम तौर पर फर्जी कॉल करने वाले साइबर अपराधी उपभोक्ताओं से उपयोगकर्ता का नाम, पासवर्ड, बैंक खाता नंबर, पिन नंबर, पूर्ण क्रेडिट कार्ड नंबर, एटीएम कार्ड नंबर, जन्मतिथि, ओटीपी, आधार कार्ड नंबर संबंधित कई जानकारी पूछते हैं.
- इन मामले में पुलिस को मिली सफलता
- के शिवा राव के 42,130 रुपये वापस हुए
- राजा राम साह के एक लाख रुपये वापस हुए
- प्रदीप कुमार के 69 हजार रुपये वापस हुए
फर्जी दस्तावेज का प्रयोग कर रुपये की निकासी मामले में पुलिस ने सुमित गौतम को एफआइआर दर्ज होने के एक दिन बाद ही गिरफ्तार कर भेजा जेल. अंकिता कुमारी के खाता रुपये निकासी करने वाला सूरज सिंह उर्फ विक्की को पुलिस ने किया गिरफ्तार.
पुलिस की सक्रियता के बाद भी अधिकांश के रुपये नहीं हुए वापस
अगर इस शहर की बात करें तो सितंबर 2018- से नवंबर (अब तक) लगभग 50 लाख रुपये से भी ज्यादा की रकम साइबर अपराधियों ने बैंक खाते से उड़ा चुके हैं. वैसे रुपये निकासी से संबंधित मामले शहर के साइबर थाना में दर्ज हो रहे हैं. पुलिस सक्रिय होकर काम भी कर रही है. लेकिन, अधिकांश मामले में लोगों के रुपये वापस नहीं हो पाये हैं.