जमशेदपुर: केंद्र में नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में नयी सरकार गठित हो चुकी है. इस सरकार में करीब 14 साल से बंद पड़ी केबुल कंपनी के फिर से खुलने की उम्मीद बढ़ गयी है. कंपनी खोलने को लेकर आरआर केबुल द्वारा की गयी दावेदारी पर 9 जून को सुनवाई होगी.
सुनवाई के दौरान उसके पक्ष और आपत्तियों को सुना जायेगा. आयफर व हाइकोर्ट के आदेश पर ऑपरेटिंग एजेंट स्टेट बैंक ऑफ इंडिया ने यह बैठक बुलायी है.
केबुल कंपनी के अधिग्रहण को लेकर टाटा स्टील की ओर से डिटेल्ड रिहेबिलिटेशन प्रोजेक्ट दिया गया था. इस प्रोजेक्ट को ही सिर्फ मंजूरी दी गयी तथा आरआर केबुल और पेगासस के प्रस्ताव को नकार दिया गया था. इसके बाद आयफर और हाइकोर्ट ने अपने अलग-अलग आदेश में आरआर केबुल की भी आपत्तियों और उसकी बातों को सुनने का आदेश दिया था.इसको देखते हुए 9 जून को बैठक बुलायी गयी है.
दूसरी ओर पेगासस कंपनी ने भी अपनी दावेदारी वापस ले ली है. टाटा स्टील, आरआर केबुल के अलावा पेगासस कंपनी भी केबुल कंपनी के अधिग्रहण के लिए प्रस्ताव दिया था. काफी दिनों के जद्दोजहद के बाद पेगासस कंपनी ने अपना प्रस्ताव वापस लेने का आदेश दिया है.कंपनी की ओर से बायफर में आवेदन देकर 25 करोड़ रुपये की जमा राशि को वापस करने की मांग की गयी है. इस पर 2 जून को बायफर में सुनवाई होने वाली है. केबुल कंपनी के लिए अच्छे दिन की उम्मीद लगाये लोगों का तर्क है कि प्रख्यात अधिवक्ता रविशंकर प्रसाद केबुल कंपनी के खुलने के लिए हाइकोर्ट से लेकर सुप्रीम कोर्ट में पैरवी कर रहे थे. वे अब कानून मंत्री बन चुके हैं,उम्मीद जगी है कि केंद्र सरकार भी इसको लेकर किसी न किसी रूप में दिलचस्पी दिखायेगी. हालांकि, अभी वेट एंड वाच की स्थिति बनी हुई है.