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धर्म स्वरूप बदल देगा तो अराजकता फैल जायेगी

जमशेदपुर. त्रिशूल उत्सव के अंतिम दिन रविवार को कार्यक्रम के दूसरे सत्र में हिन्दू धर्म संस्कृति सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसका मुख्य विषय जीवन में धर्म का महत्व था. इस अवसर पर अपने संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड़ा ने कहा कि ज्ञान का दुरुपयोग धर्म पर हमला है. उन्होंने कहा […]

जमशेदपुर. त्रिशूल उत्सव के अंतिम दिन रविवार को कार्यक्रम के दूसरे सत्र में हिन्दू धर्म संस्कृति सम्मेलन का आयोजन किया गया. जिसका मुख्य विषय जीवन में धर्म का महत्व था. इस अवसर पर अपने संबोधन में बतौर मुख्य अतिथि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंड़ा ने कहा कि ज्ञान का दुरुपयोग धर्म पर हमला है. उन्होंने कहा कि जिस प्रकार प्रकृति के अपना गुण बदलने से वातावरण में विकृति आ जाती है. उसी प्रकार अगर धर्म अपना स्वरूप बदल देगा तो समाज में अराजकता फैल जायेगी. श्री मुंडा ने कहा कि दुनिया में कई पंथ हैं, भारत में भी कई मत माननेवाले हैं, लेकिन सभी के मूल में मानव जीवन का सार है.
जीवन जीने की व्यवस्था करना मनुष्य की जिम्मेवारी है. उसके लिये पोषण की आवश्यकता होती है. इसकी पूर्ति के लिए सही आचरण अपनाना चाहिये. मानव जीवन में अध्यात्म का स्थान होना चाहिये. जमशेदपुर अधिसूचित क्षेत्र समिति के विशेष पदाधिकारी संजय कुमार ने कहा कि धर्म एक व्यापक शब्द है, जो धारण करने योग्य है. भारत सेवाश्रम संघ ने सेवा धर्म को पुन: परिभाषित किया है. सेवा ही धर्म है और इसका कोई विकल्प नहीं होता.
संघ ने हमारी आगामी पीढ़ी में संस्कार का संचार करने का जो बीड़ा उठाया है, वह समाज के लिए अनुकरणीय है. इस मौके पर स्वामी सास्वतानंदजी महाराज ने कहा कि हिन्दू धर्म ही जीवन की चेतना है और यही सनातन धर्म है, जो वर्षों तक गुलामी का दंश झेलने के बावजूद आज जिंदा है. स्कूली बच्चों ने किया सांस्कृतिक कार्यक्रम का प्रदर्शन : इस अवसर बीएसएस प्रणवानंद मध्य एवं उच्च विद्यालय के बच्चों ने रंगारंग सांस्कृतिक कार्यक्रम नृत्य, गीत एवं ज्ञानोपयोगी नाटक का मंचन किया. मुख्य रुप से बेटी पढ़ाओ. बेटी बचाओ पर आधारित नाटक का लोगों ने खुब प्रशंसा किया.
111 तरह के व्यंजनों से बने अन्नकूट महाभोग, 15000 लोगों ने किया ग्रहण
त्रिशूल उत्सव के अंतिम दिन भारत सेवाश्रम संघ के प्रांगण में अन्नकूट महाभोग का वितरण किया गया. जिसें पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा की धर्मपत्नी मीरा मुंडा ने बतौर अतिथि दीप जला कर 111 तरह के व्यंजनों से बने अन्नकूट की पूजा अर्चना कर महाभोग का शुभारंभ किया.
इसके बाद संघ के 25 संतों ने शंख,चक्र, गदा, त्रिशूल, 108 दीपक, पुष्प, खड़ग, पंखा आदि से स्वामी प्रणवानंदजी की वीरभद्र आरती की. इस अवसर पर स्वामी पवित्रात्मानंदजी महाराज एवं स्वामी गोकुलानंदजी महाराज ने विश्व शांति यज्ञ किया. इसके बाद वहां मौजूद श्रद्धालुओं के बीच अन्नकूट महाप्रसाद का वितरण किया गया, जिसे करीब 15 हजार से भी अधिक लोगों ने ग्रहण किया.

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