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5% टैक्स हाे, रेरा जीएसटी से बड़ा टेंशन

बिल्डर एसाेसिएशन अॉफ इंडिया, जमशेदपुर चैप्टर की राय, रियल एस्टेट सेक्टर की परेशानी कम हो जमशेदपुर : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिये हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. सरकार का मानना है कि इस सेक्टर सबसे ज्यादा टैक्स चोरी होती है तथा यहां कैश […]

बिल्डर एसाेसिएशन अॉफ इंडिया, जमशेदपुर चैप्टर की राय, रियल एस्टेट सेक्टर की परेशानी कम हो

जमशेदपुर : केंद्रीय वित्त मंत्री अरुण जेटली ने संकेत दिये हैं कि रियल एस्टेट सेक्टर को जीएसटी के दायरे में लाया जा सकता है. सरकार का मानना है कि इस सेक्टर सबसे ज्यादा टैक्स चोरी होती है तथा यहां कैश का इस्तेमाल भी बहुत अधिक होता है. 9 नवंबर को गुवाहाटी में जीएसटी काउंसिल की बैठक प्रस्तावित है. इसमें रियल एस्टेट सेक्टर को नये टैक्स सिस्टम में शामिल करने पर चर्चा हाे सकती है. कुछ राज्य रियल एस्टेट को जीएसटी में लाने पर जोर दे रहे हैं, जबकि कुछ इसके खिलाफ भी हैं. जीएसटी में रियल एस्टेट के शामिल हाेने पर इसका सीधा फायदा खरीदारों को होगा. साथ ही कालेधन की इकोनॉमी भी कम होगी.
अभी बिल्डर खरीदार को फ्लैट बेचता है तो 18 प्रतिशत जीएसटी का प्रोविजन है, लेकिन जमीन की कीमत पर जीएसटी नहीं लगता है. कुल कीमत में एक-तिहाई जमीन की कीमत मानी गयी है. बाकी दो-तिहाई कीमत पर ही टैक्स की गणना होती है. यह फ्लैट की कुल कीमत का 12 प्रतिशत बनता है. इसके अलावा रजिस्ट्री चार्ज भी है, जिसका हर राज्य में अलग-अलग प्रतिशत है. जीएसटी में शामिल किये जाने के बाद घर खरीदने पर उपभाेक्ता काे एक ही बार टैक्स का भुगतान करना हाेगा. जीएसटी के प्रभाव समेत अन्य मुद्दाें पर चर्चा के लिए ‘प्रभात खबर’ कार्यालय में बिल्डर एसाेसिएशन अॉफ इंडिया जमशेदपुर चैप्टर के पदाधिकारियाें के साथ गाेष्ठी का आयाेजन किया गया. प्रस्तुत है गोष्ठी में हुई बातचीत के संपादित अंश.
जीएसटी पर ‘प्रभात खबर’ कार्यालय में गाेष्ठी
जीएसटी रिटर्न की प्रक्रिया और सरल हो
वर्तमान में जीएसटी 12 प्रतिशत वसूला जा रहा है. सरकार काे इस दिशा में सरल प्रक्रिया अपनानी चाहिए. 20 लाख से कम का काराेबार करनेवाले बिल्डराें काे साथ नहीं लाया जा रहा है. छाेटे बिल्डर बिल नहीं दे रहे हैं, पहले इस व्यवसाय में 4.5 प्रतिशत आैर एक प्रतिशत अतिरिक्त टैक्स लगता था. पूर्व की भांति इसे पांच प्रतिशत में लाया जाना चाहिए. बड़े-बड़े प्राेजेक्ट फंसने शुरू हाे गये हैं.
दीपक रंजन, सदस्य
रेरा के आने से मुश्किलें आैर खड़ी हाेंगी
अब रीयल एस्टेट रेगुलेशन एंड डेवलपमेंट एक्ट ( रेरा) आ रहा है. सरकार काे इस पर स्थिति साफ करनी चाहिए. रेरा में पूर्व के पारित कार्याें काे शामिल नहीं किया जाना चाहिए. रेरा काे लाये जाने से पहले बिल्डराें के साथ बैठक की जानी चाहिए. एडवांस नहीं लेने की स्थिति में बिल्डर जब खुद निवेश करेगा ताे फिर सस्ते फ्लैट का सपना कैसे पूरा हाेगा?
अाेम प्रकाश जग्गी, सदस्य
रेरा से सभी प्रक्रियाएं जटिल हो जायेंगी
रेरा के आने पर सभी प्रक्रियाएं आैर जटिल हाे जायेंगी. प्राेजेक्ट लंबित हाेंगे. जीएसटी में टैक्स काफी अधिक है. इसे कम करना हाेगा. जीएसटी का स्लैब कम करते हुए आइटीसी में छूट देनी चाहिए. मकान हर किसी का सपना हाेता है. इस पर फाेकस कर सरकार को याेजना बनानी चाहिए.
शिबू बर्मन, पूर्व अध्यक्ष
रेरा से फायदा, लेकिन प्रक्रिया से परेशानी
रेरा आयेगा ताे ग्राहक काे इसका फायदा मिलेगा, लेकिन जिस तरह के नियम कानून इसमें लगाये गये हैं, उससे प्राेजेक्ट में आैर देर हाेगी. जीएसटी आैर रेेरा की तैयारी में जुटी सरकार के पास अभी हाेल्डिंग टैक्स वसूलने के लिए नंबर ही नहीं है. लीज एरिया में रजिस्ट्री बंद पड़ी है. सरकार काे चाहिए कि वह सीधे खरीदार से टैक्स वसूले. इसके बाद उसमें से जाे राशि बिल्डर काे देनी हाे दे. रवि जग्गी, सदस्य
नक्शा पास करने का काम 10 साल से बंद
सरकार सस्ते घर देने की बात कर रही है. शहराें में जमीन बची नहीं स्वाभाविक है लाेग शहर के पंचायत क्षेत्र का रुख करेंगे. पंचायताे में पिछले दस साल से नक्शा पास नहीं हाे रहा है. बिल्डर यदि काेई प्राेजेक्ट बनाता है ताे उसे काैन एप्रूव करेगा. जमीन पर कुछ हाेता नहीं दिख रहा है. इससे साफ है कि कहीं से भी गरीबाें काे फायदा हाेता नहीं दिख रहा है.
सुरेंद्र पाल सिंह, सचिव
जमीन काे जीएसटी से बाहर ही रखें : पवन
रियल एस्टेट में जीएसटी के दाे प्रकार हैं. प्राेजेक्ट आैर जमीन की स्थिति. जमीन काे जीएसटी के दायरे से बाहर ही रखा जाना चाहिए. क्योंकि इसे जीएसटी के दायरे में लाने के लिए संविधान में बड़ा संशाेधन करना हाेगा. सरकार काे चाहिए कि यदि वह जीएसटी 12 प्रतिशत वसूलना चाहती है ताे रिटर्न की भी व्यवस्था करे. ऐसा नहीं ताे पूर्व की भांति पांच प्रतिशत लें, रिटर्न छाेड़ दें. पवन पेरिवल, सीए
ग्राहक काे पैसे लाैटना समझ के परे
रियल एस्टेट में जीएसटी बेहतर कानून है. इसका स्लैब सिस्टम एक किया जाना चाहिए. घर बनाने में कई चीजाें की जरूरत हाेती है. उनमें सभी का स्लैब अलग-अलग है. माैजूदा टैक्स रेट काे 12 से घटाकर पांच प्रतिशत किये जाने की बात की जा रही है. ग्राहक काे 12 प्रतिशत लाैटाने की बात की जा रही है. जब ग्राहक काे 12 प्रतिशत लाैटाना ही है ताे उनसे पैसा ले ही क्याें? काैशल सिंह, चेयरमैन

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