दुर्जय पासवान
गुमला : सरेंडर किये हार्डकोर नक्सली नकुल यादव व मदन यादव के दस्ते से भाग कर घर पहुंची सरिता कुमारी को विक्टिम कंपनसेशन के तहत दो लाख रुपये का मुआवजा मिलेगा. इसके अलावा उसे प्रशासन अपने संरक्षण में लेकर सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण दिलायेगा, ताकि वह अपनी अलग पहचान बना सके. खुद अपने पैरों पर खड़ा होकर परिवार का भरण पोषण कर सके. प्रधान जिला एवं सत्र न्यायाधीश अवनी रंजन कुमार सिन्हा, डीसी श्रवण साय व एसपी चंदन कुमार झा ने सरिता को मुआवजा देने की स्वीकृति प्रदान कर दी है. मुआवजा राशि सरिता के बैंक खाते में जमा होगी. जिला जज श्री सिन्हा ने सरिता से कहा कि तुम सिलाई-कढ़ाई सीख लो, तुम्हारा भविष्य बन जायेगा.
नये माहौल में ढली सरिता
नक्सलियों के साथ डेढ़ साल तक रहने के बाद जब सरिता को अचानक डेढ़ माह के बेटे के साथ गुमला लाया गया, तो वह गुमला शहर में रहना नहीं चाहती थी. वह बार-बार अपना घर जाना चाह रही थी. लेकिन जिला जज, प्रशासन, सीडब्ल्यूसी व नारी निकेतन में उसके दुख दर्द को बांटने के बाद अब उसका मन गुमला में लग गया है. उसने कहा कि सरकार द्वारा मिलल कचिया के मोय बैंक में रखबू और बेटा का बढ़ाबू (सरकार से मिले पैसे को बैंक में रखूंगी और अपने बेटे को पढ़ायेंगे). वह सिलाई-कढ़ाई का प्रशिक्षण प्राप्त करने के लिए भी तैयार हो गयी है. ज्ञात हो कि सरिता ने प्रभात खबर के माध्यम से सरकार से मदद की गुहार लगायी थी. दो लाख मुआवजा स्वीकृति के बाद वह खुश है.
सरिता कौन है?
सरिता बिशुनपुर प्रखंड की है. उसका गांव घोर उग्रवाद प्रभावित है. घर में वृद्ध माता-पिता हैं. नौ भाई-बहन में दो बहन गरीबी के कारण पलायन कर गयी हैं. घर में सरिता से छह छोटे भाई-बहन है.
डेढ़ साल पहले नक्सली नकुल व मदन जबरन उसे उठा कर ले गये थे. इसके बाद अधेड़ नक्सली अनिल उरांव से शादी करा दी थी. गर्भवती होने के बाद पांच माह पहले सरिता नक्सली दस्ते की अन्य पांच लड़कियों के साथ भाग कर घर आ गयी थी. जब नकुल व मदन ने सरेंडर किया, तो वह पुलिस के सामने आयी और नक्सली प्रताड़ना की दर्दभरी कहानी बतायी.