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प्रभु के आगमन को पहचानें : बिशप

डुमरी के खइड़कोना में पवित्र धार्मिक यात्रा पर्व मनाया गया पर्व में झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा से ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए. डुमरी : झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर खइड़कोना चर्च में सोमवार को पवित्र धार्मिक यात्रा पर्व मनाया गया. इस अवसर पर चर्च परिसर से साहेबकोना तक धार्मिक यात्रा निकाली गयी, जिसमें झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा […]

डुमरी के खइड़कोना में पवित्र धार्मिक यात्रा पर्व मनाया गया
पर्व में झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा से ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए.
डुमरी : झारखंड-छत्तीसगढ़ की सीमा पर खइड़कोना चर्च में सोमवार को पवित्र धार्मिक यात्रा पर्व मनाया गया. इस अवसर पर चर्च परिसर से साहेबकोना तक धार्मिक यात्रा निकाली गयी, जिसमें झारखंड, छत्तीसगढ़ व ओड़िशा से हजारों की संख्या में ख्रीस्त विश्वासी शामिल हुए. वहीं चर्च में मुख्य अधिष्ठाता जशपुर धर्मप्रांत के बिशप एमानुवेल केरकेट्टा की अगुवाई में पवित्र मिस्सा बलिदान अर्पित कराया गया.
मौके पर बिशप ने कहा कि खइड़कोना चर्च की स्थापना गुमला धर्मप्रांत के सहयोग से 26 नवंबर 1906 में की गयी थी. गुमला धर्मप्रांत का इस क्षेत्र में ख्रीस्तीयों को बसाने में बहुत बड़ा योगदान रहा है. बिशप ने धन्यवाद देते हुए कहा कि सभी धर्म विश्वासियों पर प्रभु की दया आशीष बनी रहे. लोग एक-दूसरे से आपसी भेदभाव भुल कर प्रभु की शरण में आयें. अंधकार को छोड़ सभी ज्योति की शरण को धारण करें.
प्रभु के आगमन को पहचानें. वे किसी भी रूप में हमारे पास आ सकते है. फादर दीपक ने खइड़कोना चर्च का इतिहास और प्रभु का सुसमाचार बताया. मौके पर फादर व्यातुस किंडो, फादर जेरोम खलखो, फादर टी पायस, फादर सिकंदर किस्पोट्टा, फादर दीपक अमर कुजूर, फादर प्रबोध मिंज, फादर सिलास लकड़ा, फादर प्रफुल्ल कुजूर, फादर हेलारियुस मिंज, फादर एमानुएल एक्का, फादर राकेश, फादर कंचन, फादर दिलीप, फादर फिलिप, फादर मंगलदास, फादर जॉन डिसूजा, फादर प्रदीप व सिस्टर ललिता सहित हजारों की संख्या में ख्रीस्तीय धर्मावलंबी मौजूद थे.

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