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दूरस्थ इलाकों में भी अच्छा मतदान, उत्साह
विमरला से लौट कर दुर्जय पासवान घाघरा प्रखंड में विमरला पंचायत है. जंगल व पहाड़ों के बीच है. इस पंचायत के लोग विकास नहीं होने से नाराज हैं. चुनाव से 20 दिन पहले वोट का बहिष्कार किये थे. हजारों लोगों ने बैठक भी की थी. यह नक्सलियों का गढ़ भी है. प्रशासन को डर था. […]
विमरला से लौट कर दुर्जय पासवान
घाघरा प्रखंड में विमरला पंचायत है. जंगल व पहाड़ों के बीच है. इस पंचायत के लोग विकास नहीं होने से नाराज हैं. चुनाव से 20 दिन पहले वोट का बहिष्कार किये थे. हजारों लोगों ने बैठक भी की थी.
यह नक्सलियों का गढ़ भी है. प्रशासन को डर था. यहां वोटिंग कराना मुश्किल होगा. क्योंकि तीन दिन पहले विमरला से सटे बिशुनपुर के कोनमेंडरा में जेजेएमपी के उग्रवादियों ने रामदेव गिरोह के दो अपराधियों को मार गिराया था. विमरला, गुटवा, जेाकारी, बियार बरटोली, खुखराडीह, भेलवाडीह, हुसीर गांव जाने के लिए पथरीली सड़क है.
रूकी घाटी पड़ता है. आशंकाओं के विपरीत शनिवार को तेजी से वोटिंग हुई. हालांकि नक्सली का भय दिनभर बना रहा. इस कारण विमरला कलस्टर में सीआरपीएफ के जवानों को तैनात किया गया था.
गांव के हर रूट पर जवान गश्ती भी लगा रहे थे. विमरला कलस्टर में एक साथ नौ बूथ बनाये गये थे. इसमें गुटवा, जोकारी, बियार बरटोली, खुखराडीह, भेलवाडीह, हुसीर गांव का बूथ था. ये सभी गांव विमरला से पांच से छह किमी दूर है. लेकिन वोटरों में उत्साह था. इस कारण वोटर पहाड़ पार कर पैदल चल कर बूथ पहुंचे. बूथ के पास मेले-सा दृश्य था.
डर नहीं, हेलीकॉप्टर से लौटेंगे
गुटवा के बूथ नं 16 के पीठासीन पदाधिकारी आनंद भगत ने बताया कि दिन के 11 बजे तक 134 वोट पड़ा था. 17 के राजू उरांव ने कहा कि 238 वोटर है. 127 वोट पड़ा था. 18 के फरदीनंद टोप्पो ने बताया : धीरे-धीरे वोटर आ रहे हैं.
327 में 51 वोट पड़ा था. बूथ नं 19 के सिकंदर साहू ने कहा : 303 वोटर हैं. 43 वोट पड़ा था. 20 के तारकेश्वर हरिहर ने कहा : 11 बजे तक 443 में 75 वोट पड़ा था. 15 के रामचंद्र खेरवार ने कहा : हुसीर गांव का बूथ है. 281 में 94 वोट 11 बजे तक पड़ा था. सभी पीठासीन पदाधिकारियों ने कहा : हेलीकॉप्टर से आये हैं, उसी से जायेंगे. इसलिए डर नहीं है. इन सभी बूथों में एक कर्मी व एक पीठासीन पदाधिकारी था. इस कारण गांव के चौकीदार से सहयोग लिया गया था.
जंगल में मिला गरमा-गरम चाय
सुरक्षा में सीआरपीएफ के सहायक कमांडेंट मंतोष कुमार थे. वे जवानों को हर समय अलर्ट करते नजर आये. स्वयं वे घूम रहे थे. मंतोष ने जब पत्रकारों को देखा तो वे चाय पीने के लिए ले गये.
जंगल में गरमा-गरम चाय पीने को मिली. खाने को चीनी लगा मीठाबिस्किट था. मंतोष ने बताया : नौ दिसंबर को ही विमरला आ गये हैं. पैदल चल कर पहुंचे हैं. यहां मोबाइल का टावर काम नहीं करता. सेटेलाइट फोन व वायरलेस से अधिकारियों से बात कर पल-पल की खबर दे रहे हैं.
टेंपो को धक्का दे कर पहाड़ चढ़ाया
विमरला जाने का मार्ग खतरनाक है. पहाड़ है. सड़क भी खराब है. दस बजे भेलवाडीह गांव के लोग वोट डालने विमरला जा रहे थे. टेंपो में वोटर बैठे थे. टेंपो पहाड़ पर चढ़ने नहीं लगा, तो कुछ लोग टेंपो से उतर गये. इसके बाद धक्का देकर टेंपो को चढ़ाया. ग्रामीण सुंदर गोप ने कहा : यह हर दिन का है. इस क्षेत्र में वोट बहिष्कार हुआ था. पर विकास के लिए ही अब वोट डालने जा रहे हैं.
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