गुमला : ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान गुमला जिला में मां दुर्गा पूजा की जो प्रथा आरंभ हुई थी, वह प्रथा आज भी कायम है. गुमला में सबसे पहले बार मां दुर्गा पूजा 1921 ईस्वी में हुई थी. उसके बाद से मां दुर्गा पूजा बदस्तूर जारी है.
गुमला में लगातार 93 वर्षो से मां दुर्गा की पूजा होते आ रही है. मुख्यत: बात कर रहे हैं गुमला के जशपुर रोड स्थित बंगाली क्लब दुर्गाबाड़ी की.
ब्रिटिश साम्राज्य के दौरान पहली बार मां दुर्गा पूजा इसी दुर्गाबाड़ी में बंगाली पद्धति से शुरू हुई थी. उस समय पूरे गुमला जिला में पहली बार मां दुर्गा पूजा के लिए पंडाल बनवाने, मूर्ति बनवाने और दुर्गा पूजा कराने में स्व रेवती मोहन सेन, स्व लाल बाबू, स्व कन्हाय लाल घोष, स्व प्राण रंजन सेन गुप्ता व स्व हरिदास अधिकारी ने अपनी महत्ती भूमिका निभायी थी.
मां दुर्गा की मूर्ति बनाने और साज–सज्जा करने के लिए बंगाल से मूर्तिकार बुलाया गया था. उन्हीं मूर्तिकारों के वंशज आज भी दुर्गा पूजा के दौरान बंगाली क्लब दुर्गाबाड़ी के लिए मां दुर्गा की मूर्ति बनाने का काम कर रहे हैं. उस समय दुर्गा पूजा के दौरान सप्तमी, अष्टमी व नवमी के दिन विशेष सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित होता था. कुछ वर्षो बाद गुमला में दुर्गा पूजा मनाने के लिए लोगों का रूझान बढ़ा और बंगाली क्लब के समीप ही दुर्गा मंदिर का निर्माण हुआ. वहां भी दुर्गा पूजा होता है.
विद्युत सज्जा रहेगा मुख्य आकर्षण का केंद्र : वर्तमान में बंगाली क्लब दुर्गाबाड़ी में दुर्गा पूजा हर्षोल्लास के साथ मनाने के लिए संरक्षक दिलीप मुखर्जी, सभापति मिलन अधिकारी, सह सभापति काजल मजुमदार, सचिव हेमंत राय, सह सचिव काशीनाथ चक्रवर्ती, विकास विश्वकर्मा, कोषाध्यक्ष विश्वनाथ सेन गुप्ता, संयोजक विवेक अधिकारी तथा विद्युत व ध्वनि प्रभारी अजय विश्वकर्मा को बनाया गया है.
वहीं कार्यकारिणी में बीएन रक्षित, अरुण अधिकारी, स्वपन राय, जयंत मुखर्जी, दिलीप चक्रवर्ती व असित सेन को शामिल किया गया है. कोषाध्यक्ष विश्वनाथ सेन गुप्ता ने बताया कि इस वर्ष मां दुर्गा की प्रतिमा के अलावा क्लब में विद्युत साज–सज्जा मुख्य आकर्षण का केंद्र रहेगा. अन्य वर्षो की बदौलत इस वर्ष पूरे क्लब सहित क्लब के बाहर मुख्य मार्ग में वृहद रूप से विद्युत सज्जा की जायेगी.